मत मारो मुझे...
एक बेटी बोल रही... सुरेंद्र सैनी एक बार जीना चाहती हूं| कोख में मत मारो मुझे|| मानव जीवन मुश्किल से मिले| एक बार धरा पर उतारो मुझे || मैं भी नाम करूंगी एक दिन| हिकारत से मत लतारो मुझे || छोटी सी एक बच्ची हूं| एक बार प्यार से पुकारो मुझे || हर हाल में खुश रह लूंगी मैं| नहीं चाहिए ख्वाहिश हजारों मुझे || थोड़े से सम्मान की भूखी हूं| मत बनाओ खबर-ए-अखबारों मुझे || हरियाली सी चहक उठती हूं| समझो आती बहारों मुझे || सूखे तपते रेगिस्ता में| आता है बनना जल ए बौछारो मुझे || नहीं अफसोस बनने दूंगी "उड़ता" | बस कोख में मत मारो मुझे ||