बंटवारा होगा ना दोबारा..
विश्व गुरु कहलाता था! नालंदा और तक्षशिला से जग में.. विजय सिंह भारत स्वर्ग हुआ करता था! अफगानिस्तान से बर्मा तक, भारत भूमि अखंड थी! यहाँ की गाथा विश्व पटल पर, विजय, सुशोभित और प्रचंड थी!! अखंड भारत का एक है नारा, बंटवारा होगा ना दोबारा! राष्ट्र बटा था सन सैंतालीस में, नरसंहार हुआ बहुतेरा!! वीभत्स कृत्य था वो बंटवारा, जो हुआ धर्म के नाम पर! प्रताड़ितों को शरण मिली थी, भारत भूमि महान पर!! जब भी प्रबल हुआ अँधियारा, सूरज के किरणों से हारा! कहीं सृजन तो कहीं प्रलय है, सृष्टि नियंत्रण भेद है सारा!! नैतिक मूल्यों के पथ पर, भारत आगे बढ़ता है! मानवता के रक्षण हेतु, आतंकवाद से लड़ता है!! आतंकवाद की मारी दुनिया, कब तक प्राण बचाए! कब तक मानव बेबस होकर, दुष्टों से टकराए !! विश्व शक्ति बन उभर रहा है, विश्व गुरु कहलाता था! नालंदा और तक्षशिला से जग में, ज्ञान चेतना फैलाता था!! भारत का स्वर्ग हुआ करता था,