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नजदीकियाँ

मौर्या साहब पिछले बीस मिनट से पूरे घर में हड़बड़ी से घूम रहे थे।  पहले तो वे अपनी मेज पर बैठे-बैठे विचलित हो गए, फिर वहां से निराश हो ड्रेसिंग टेबल के सामने पहुंच गए।   ड्रेसिंग टेबल के लगभग सभी दस्तावेजों को बिखेरने के बाद उनका ध्यान टेबल पर रख दिया गया।  पूरी मेहनत के बाद भी उन्हें कोई वस्तु नहीं मिली।  इसके बाद मौर्या साहब ने अपनी दृष्टी और दृष्टिकोणों को खोला और उन्होंने अपनी दृष्टी की तलाशी ली। "यह सुबह-सुबह क्या घर में कोहराम मचा रखा है?? चेन से सोने भी नहीं देते! इतनी देर शोर शराबे से बेखबर सो रही मिसेज मौर्या की आंखें खुल गईं और वे उठकर किचन में चली गई। बदन पर ट्रैक सूट, सर पर कैप, पैरों में नई नवेले स्पोर्ट्स शूज, पूरी तरह मॉर्निंग वॉक को तैयार मौर्या साहब  के चेहरे पर पसरी परेशानियां पत्नी के उठ जाने पर कुछ कम हुई। वे मिसेस मौर्या के पीछे पीछे किचन में पहुंचे। "मेरा दूर का चश्मा नहीं मिल रहा है! पता नहीं कहां रख दिया! क्या तुमने कहीं देखा था?" अब तक चाय का पानी चढ़ा चुकी मिसेज  मौर्या  ने उन्हें घूरा, "तुम्हारा रोज-रोज का यही हाल है!  कभी जूते, कभी कैप, कभ