लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ के रूप में प्रेस को जाना जाता है
- निष्पक्ष पत्रकारिता किसी भी राष्ट्र, देश एवं समाज को ऊँचाईयों तक ले जाने में सक्षम..
- प्रेस की स्वतंत्रता लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए आवश्यक..
लेखराम मौर्य
लखनऊ। राष्ट्रीय प्रेस दिवस के अवसर पर सूचना निदेशक शिशिर ने सूचना निदेशालय के सभागार में आयोजित कार्यक्रम में सभी पत्रकार बंधुओं को प्रेस दिवस की शुभकामनाएं एवं बधाई दी।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि भारतीय प्रेस परिषद द्वारा 1966 में पहली बार प्रेस की स्वतंत्रता की महत्ता के दृष्टिगत प्रेस दिवस मनाया गया, तभी से प्रेस के कार्यों, उपलब्धियों एवं उनके प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए प्रेस दिवस मनाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि आजकल विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्म बन गए हैं जिनके माध्यम से अनेक सूचनाएं आती रहती हैं, इन प्लेटफॉर्म के माध्यम से प्रसारित होने वाली किसी भी प्रकार की फेक न्यूज़ का खंडन सूचना विभाग द्वारा समय-समय पर किया जा रहा है।
अपर निदेशक सूचना अंशुमान त्रिपाठी ने कहा कि लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ के रूप में प्रेस को जाना जाता है। प्रेस जन अधिकारों की बात करता है। उन्होंने कहा कि निष्पक्ष भाव से समाज हित में समर्पित होकर कार्य करना ही सही पत्रकारिता होती है।
वरिष्ठ पत्रकार विजयशंकर पंकज ने कहा कि पत्रकारिता का व्यवसायीकरण हो गया है। पत्रकारिता पेशा नहीं साधना है। उन्होंने कहा कि कोई किस दृष्टि से किसी सूचना को देखता है वो उसके मनोयोग पर निर्भर करता है। एक ही विषय पर लोग अलग-अलग तरीके से अपनी भावना को व्यक्त करते हैं। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता में जनविश्वास का होना आवश्यक है।
कार्यक्रम में पत्रकारगण सुरेन्द्र अग्निहोत्री, रतिभान त्रिपाठी, दिनेश गर्ग ने प्रेस दिवस के अवसर पर अपने-अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम का संचालन संजय निर्मल द्वारा किया गया।
इस अवसर पर संयुक्त निदेशक सर्वेश कुमार दुबे, भूपेन्द्र सिंह यादव, उपनिदेशक हरिशंकर त्रिपाठी, कुमकुम शर्मा, दिनेश सहगल, प्रभात शुक्ल, ललित मोहन श्रीवास्तव, फिल्म निर्माण अधिकारी संजय अस्थाना, सहायक निदेशक गोकुल प्रसाद दुबे व सतीश चन्द्र भारती सहित पत्रकार गण, अन्य विभागीय अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।