आजमगढ़ में पेपर में चलता है महाविद्यालय?

  • आजमगढ़ में पेपर में चलता है महाविद्यालय मौके पर खण्डहर नजर आएगा..
  • डी वाई एस हैं मेहरबान प्रत्येक माह सेलरी समय से आती है टीचरों के खाते में..









आजमगढ़ जिले का मामला सामने आया है जहाँ की योगी सरकार प्रदेश में कायाकल्प योजना के तहत शिक्षा को सुधारने के लिए दिन रात काम कर रही है। वही आजमगढ़ के अधिकारी डाका डालने में कोई कसर नही छोड़ रहे हैं लूट खसोट जारी है कुछ ऐसे भी स्कूल व शिक्षक है जो सरकार व जनता की आँख में धूल झोंक कर बिना कुछ किये ही लाखों रूपये सेलरी हर महीने उठा रहे है। 

जी हाँ  यह स्कूल कही और का नहीं है बल्कि आप के आजमगढ़ शहर में ही अनन्त पूरा कटरा हनुमान गढ़ी मन्दिर का है जहाँ सांग वेद महाविद्यालय के नाम से स्थित है आपको बता दे हनुमान गढ़ी मंदिर के महंत द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार सांग वेद महाविद्यालय की स्थापना 1954 में की गयी थी सांग वेद एक संस्कृत महाविद्यालय है जो संपूर्णानंद विश्वविद्यालय वाराणसी से संबध है आज यह महाविद्यालय पूरी तरह से खंडहर में तब्दील हो चूका है स्कूल के नाम पर खण्डहर ही देखने को मिलेगा स्कूल में न तो बच्चो के बैठने के लिए कोई ब्रेंच है न ब्लैक बोर्ड है और ना ही पानी अथवा शौचालय की ब्यवस्था है। 

अधायपक के तौर पर यहाँ कार्यवाहक प्राचार्य के रूप में अनुपम पाण्डेय, शिक्षक के रूप में आनन्द मणि चतुर्वेदी, प्रियंका तथा कलर्क के रूप में दीपक पाण्डेय है कागजों में 100 बच्चों के पढ़ने की बात बताई जाती है स्कूल के हालात देखकर आप समझ ही गए होंगे स्कूल में कितना पढ़ाई होती है फिर भी डिवाइस जी मेहरबान हैं प्रत्येक टीचर को प्रति महीने लाखों रूपये सेलरी इन अध्यापकों के खाते में बिना जांच पड़ताल के ही आ जाती है ऐसा नहीं है की इसकी शिकायत नहीं की गयी है 6 अगस्त 2022 को इस पूरे मामले की शिकायत महंत शंकर सुअन उपाध्याय एडवोकेट के द्वारा जिलाधिकारी आजमगढ़ को की गयी है वह भी काली कोठरी में फेंक दिया गया हैं। वही कुछ लोगो ने बताया कि शिकायत के बाद राजस्व विभाग जांच करने आया लेकिन टीचर्स से प्रभावित हो गए और गलत रिपोर्ट लगा दिए हैं।

लेकिन अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गयी योगी सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रवैया के बाद भी निचले स्तर के अधिकारीयों में कोई डर नजर नहीं आ रही है और धडल्ले से यह सब चल रहा है यह पूरा मामला शहर के बीच का है ऐसे में अब यह सवाल उठता है की या तो इस मामले में अधिकारीयों की मिलीभगत शामिल है या तो कही न कही उच्च अधिकारीयों को गुमराह करने का प्रयास किया जा रहा है सच्चाई क्या है यह तो जाँच के बाद ही पता चलेगा अब देखना यह है की इस मामले में कोई जाँच होती है या इसे भी ठन्डे बस्ते में डाल दिया जाता है इस पूरे मामले में हनुमान गढ़ी मंदिर के महंत ने क्या कुछ कहा देखिये यह रिपोर्ट।


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