मामला करदाताओं का एक अखिल भारतीय संगठन का?

आज लोकतंत्र सिर्फ वोट देने तक सीमित है?

सुजाता मौर्या 

ब समय आ गया है कि करदाताओं का एक अखिल भारतीय संगठन बनाया जाए। दुनिया का सबसे बड़ा संगठन कौन सा होगा! 

अब देश में टैक्स पेयर्स यूनियन का गठन होना चाहिए। चाहे कोई भी सरकार शासन कर रही हो, इस करदाता संघ की स्वीकृति के बिना, न तो मुफ्त बिजली, न मुफ्त पानी, न मुफ्त वितरण, या ऋण माफी की घोषणा किसी के द्वारा की जा सकती है, न ही कोई सरकार कर सकती है। 

ऐसा कुछ भी लागू करें। पैसा हमारे टैक्स भुगतान से आता है, इसलिए हमें यह भी कहने का अधिकार होना चाहिए कि इसका उपयोग कैसे किया जाए। 

पार्टियां वोट के लिए मुफ्त उपहार बांटकर लालच देती रहेंगी, क्योंकि इससे उन्हें फायदा होता है, आज जो भी योजनाओं की घोषणा की जाती है, पहले उसका खाका दें, संघ से सहमति लें, और यह सांसदों और विधायकों के वेतन और उन्हें मिलने वाले अन्य लाभों पर भी लागू होना चाहिए।

क्या लोकतंत्र सिर्फ वोट देने तक सीमित है? उसके बाद हमारे पास क्या अधिकार हैं?  राइट टू रिकॉल ऐसे किसी भी "फ्रीबीज" को भी जल्द ही लागू किया जाना चाहिए।

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

..आपने मुन्ना को देखा है?

यूपी सरकार में दवा व्यवसाई भी सुरक्षित नहीं?

हलिया व लालगंज में गरीब, असहाय जरूरतमन्दों को किया गया निशुल्क कम्बल का वितरण