एक अहसास हो माँ
मां तुम खास हो
संग हो न हो मेरे
दिल के सदा पास हो
जब भी मैं इस दुनिया की संगत से मैं थक जाता था
तेरे आँचल मैं आकर चुपके से सो जाता था
कहती भी न तुझ से कुछ मन ही मन सकुचाता था मा
फिर तेरे पास होने के अहसास से खुश हो जाता था
इस जंजाल भरी दुनिया मे फिर जाने से घबराता था
सोचता था हूं कुछ हो न हो बस तेरा साथ हो
माँ तुम ख़ास हो
एक अहसास हो
संग हो न हो मेरे
दिल के सदा पास हो जब तक यह जीवन हैं मा आप सदा मेरे मन मन्दिर में रहोगी
आपको नमन हैं../