लोकतांत्रिक व्यवस्था की मर्यादा तोड़ दी भाजपा ने -अखिलेश यादव

झूठ को सौ बार दुहराओं ताकि वह लोगों को सच लगने लगे?

सुजाता 

आज जिस प्रकार संविधान पर हमले हो रहे हैं, नेताओं पर झूठे मुकदमों और जांच एजेंसियों के छापे के बाद अब शारीरिक हमले तक हो रहे हैं, ये भाजपा की राजनीतिक कुत्सित इरादे का प रिणाम है। दूसरों पर सिंडीकेट से संचालित होने का आरोप लगाने वाले लोग वास्तव में ‘संघीकेट‘ से संचालित हैं। नाजी प्रचार का मूल सिद्धांत था कि झूठ को सौ बार दुहराओं ताकि वह लोगों को सच लगने लगे, इसे भाजपा नेतृत्व और सरकार ने अक्षरशः पालन करने का मन बना लिया है। 

चार साल के षासन काल में भाजपा सरकार ने प्रदेश में विकास की गति अवरूद्ध करने के अलावा कोई काम नहीं किया है। पिछली सरकार के कामों को कोसना और फिर उन्हीं के कामों को अपना बताकर खुद ही अपनी प्रशंसा करने लगना मुख्यमंत्री जी का मुख्य करतब रहा है। इसे वे अपनी सफलता भी मानते हैं। दरअसल, भाजपा के लिए सिर्फ येनकेन प्रकारेण चुनाव जीतना मुद्दा रहता है, जनस्वास्थ्य, शिक्षा या रोजगार नहीं। एक उदाहरण, बदायूं में समाजवादी पार्टी के समय बनना शुरू हुए मेडिकल कालेज का काम भाजपा सरकार के चार साल के कार्यकाल में पूरा नहीं हो पाया। भाजपा सरकार ने झूठ की एक बानगी और दिखाई जब उन्होंने समाजवादी पार्टी की सरकार के समय की नौकरियों के बारे में अनर्गल बयान दिया। जबकि उनके चार वर्षों की वास्तविकता यह है कि 2012 से 2017 के बीच समाजवादी पार्टी की सरकार ने ही उत्तर प्रदेश में विकास का काम किया है। भाजपा सरकार में तो धेले भर का काम राज्य में नहीं हुआ। सरकारी नौकरियों के बारे में निराधार और बिना किसी ठोस तथ्य के आरोप लगाना अनैतिकता हैं।

उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार को पहले नौकरी व कारोबार देने के झूठे ट्वीट हटाने पड़े, अब 5 एक्सप्रेस-वे बनाने के झूठे होर्डिंग्स भी हटवाने पड़ेंगे। वस्तुत ये संकीणमार्गी स्वयं कोई महामार्ग नहीं बनवा सकते, ये तो बस झूठ के महामार्गी है, जिन्हें अब जनता हटाएगी। समाजवादी पार्टी की सरकार बनने पर फर्जी एनकाउण्टर ओर हिरासत में मौतों की जांच की जाएगी। मानवाधिकार आयोग की रिपोर्टों और पीडि़त परिवारों की मांगों पर कार्यवाही होगी।

भाजपा सरकार पूरी तरह अहंकार में डूबी हुई है। हर स्तर पर उसने लोकतांत्रिक व्यवस्था की मर्यादा तोड़ दी है और प्रदेश को अराजकता की आग में झोंक दिया है। विपक्ष के प्रति बदले की भावना से काम करने वाली भाजपा को जानना चाहिए कि सत्ता पर किसी का स्थायी एकाधिकार नहीं होता है। लोकतंत्र में सरकारें आती हैं, जाती हैं लेकिन जिस तरह की अमयार्दित भाषा और दम्भी व्यवहार भाजपा विपक्ष विशेषकर समाजवादी पार्टी के प्रति दिखाती है जनता उसे सहन नहीं करेगी और वह सन् 2022 में उसे उखाड़ फेंककर ही दम लेगी।

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