औद्योगिक क्षेत्र की इकाईया से उन्नाव शहर मे प्रदूषण

शहर मे प्रदूषण न हवा सांस लेने के काबिल न पानी पीने के काबिल

प्रकाश शुक्ला

उन्नाव। औद्योगिक क्षेत्र मे स्थापित मिर्जा ट्रेर्नस केलको ट्रेनरी पेस्फीक ट्रेनरी, एवरेस्ट ट्रैनरी, दीपाली केमिकल, प्राइम केमिकल माडल ट्रेनरी अभिषेक मलहोत्रा खाद आरिफ बनारस खाद आदि फेक्ट्रियां जिले को रेगिस्तान बनाने पर तुली हैं, जो जिलाधिकारी के आदेशो को अनदेखा कर खुलेआम जल तथा वायु प्रदूषण फैला रही हैं और प्रशासन चाह कर भी इनकी मनमानी पर लगाम नहीं लगा पा रहा है। 

देश में औद्योगिक नगरी के रूप में विख्यात उन्नाव आज नर्क का द्वार बन चुकी है। जहा के लोगों की जिन्दगी कचड़ा, कीचड़ च सड़ाध से घुट घुटकर दम तोड़ रही है। दही चौकी ओद्योगिक क्षेत्र मे चमड़ा एबं केमिकल इकाईयो की मनमानी से भूगर्भ जल दिन प्रतिदिन नष्ट हाता जा रहा है। जहाँ संचालित मिर्जा, ट्रेनर्स केलका, ट्रेनर्स पेस्फीक ट्रेनी, अभिषेक मल्होत्रा खाद,ऐकवरेस्ट ट्रेनरी, बंथर स्थित मॉडल ट्रेनरी आदि फैक्ट्रियों द्वारा रसायनिक केमिकलयुक्त पानी तथा बिना ट्रीट किया हुआ गदा पानी खुलेआम बहाया जा रहा है जिससे जिले का भूगर्भ इतना प्रदूषित हो चुका हे कि पानी पीने योग्य नही बचा है। प्रदूषित जल से लोगो में घातक बीमारिया घर कर रही हैं। 

समाचार पत्र औद्योगिक नगरी की मनमानी का लगातार उजागर कर रहा है लेकिन मिर्जा ट्रेनर्स कलका ट्रेनर्स पस्फीक ट्रेनरी अभिषेक मल्होत्रा खाद,ऐवरेस्ट ट्रेनरी आदि फैक्ट्रियो पर अभी भी इसका असर नहीं पड़ रहा है जो खुलेआम बायु तथा जल प्रदूषण फेलाकर लोगो को मौत के मुह में ढकल रही हैं। 

इन फैक्ट्यो के लिए मानक निर्धारित किये गये हैं तथा जल शोधन क लिए ट्रीटमेन्ट प्लाण्ट भी स्थापित हैं परन्तु यह फेक्ट्रिया कभी भी इन मानकों का पालन नहीं करती हैं और रात के अधेरे में फेक्ट्रियो तथा कमिकल इकाईयो द्वारा निकलने वाला पानी सीधे बोरबेल के माध्यम से भूगर्भ जल में पहुचा दिया जाता है अथवा टैकरो के माध्यम से सीधे लोन नदी मे उडेल दिया जाता है जो आसपास की भूमि को उसरीला करता हुआ सीधे गंगा में प्रवेश कर जाता है। आलम यह है कि रसायनिक जल के बहाने से आसपास क्षेत्र का जल पीना तो दूर नहाने तथा कपड़े धोने लायक भी नही बचा है। नालो से बदबूदार कीचड़ निकल रहा है। लोग पीने के लिए कई किलोमीटर दूर से पानी लात हैं अथवा मार्कट से 40 रूपये लीटर मे खरीदकर पीते हैं।

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