बदल दिया ज़माना!

 बदलाव की बयार..


मंजुल भारद्वाज

जब जब

भूमि पुत्रियों ने ठाना

तब तब

बदल दिया ज़माना !

चूल्हे की आग़

जब बनी मशाल

तब भड़क उठी

चारों ओर क्रांति ज्वाला !

जाग मक्कार भाग गद्दार

छोड़ गद्दी हो फ़रार

ओ पूंजीपतियों के दलाल

अब रण में कूद पड़ी

देख भारत की बाला !

छद्मी राष्ट्रवादियो खबरदार

संघी विकारियो होशियार

भूमि पुत्रियों की ललकार

है बदलाव की बयार !


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