मेरी गुमसुम हंसी को छूं कर क्यों गुमशुदा हो

 कोरोना काल ने दौलत की कीमत दी

मनोज मौर्य 

इंदौर। काव्य-गज़ल भारतवर्ष व्हाहटसप समूह पर ऑनलाइन काव्यगोष्ठी का आयोजन किया गया। देश भर की प्रसिद्ध कवियत्रीयों ने लाइव काव्यपाठ के माध्यम से देश-दुनियां और समसामयिक विषयों पर ताज़ा-तरीन रचनाएँ सुनाई। सरस्वती वंदना के साथ जितेन्द्र शिवहरे जुगनू ने सर्वमंगल प्रार्थना की - 'मां शारदे मेरा नमन स्वीकार करे...कंठ विराज के मां दूविधा से पार करे...वाणी मेरी सत्य कहे ऐसा वर दे मां...इष्ट जनों की आशिष हो ऐसा घर दे मां..अभिमान जब आकाश छुएं तू पल में उतार दे....।' प्रथम कवियत्री के रूप में इंदौर की युवा श़ायरा श्रुति मुखियां ने सुनाया- डूब कर पूरे समुंदर में एक कतरा पाया है...जब जाकर इस नादां दिल को कुछ समझ आया है...मेरी गुमसुम हंसी को छूं कर क्यों गुमशुदा हो...गुनाह किया किसी ने और जख़्म किसी ने खाया है...। 

वाणी मेरी सत्य कहे ऐसा वर दे मां...

इष्ट जनों की आशिष हो ऐसा घर दे मां...

अनूपपुर की डॉ. किरण अग्रवाल ने काव्यपाठ किया- मेरे करीब से गुज़रा वो...बदन की भीनी ख़ुशबू के साथ...पलट के देखा न था कोई आस-पास...मेरा नसीब कुछ खास है मेरे रहबर...गुज़रते वक्त के पहलु में भी...थमे रहे मेरे ज़ज्बात...। इंदौर की ही विनीता सिंह चौहान ने नव वर्ष और कोरोना पर गीत गया- कोरोना काल ने दौलत की कीमत बता दी...और लॉकडाउन मितव्ययिता सिखा गया...आपसी रिश्तों को परखने का वक्त देकर...अपने और परायों का भेद दिखा गया...ऊंच-नीच ,जात-पात में समानता लाकर...कोरोना सबके गुरुर को आइना दिखा गया...मानवीय कृत्य ने पर्यावरण को जो हानि पहुंचाई...तो प्रकृति ने भी महामारी का रूप दिखा दिया...हां यह बातें हैं  गुजरे वर्ष 2020 की...कुछ खट्टी मीठी यादें हैं वर्ष 2020 की...। छिंदवाड़ा की शिक्षिका और श़ायरा अंजुमन 'आरज़ू' ने गज़ल पढ़ी- ख़ुशियों के खिलें गुल हो ये गुलज़ार नया साल...दामन में कभी ग़म के न  दे ख़ार नया साल...ये है दुआ  मुश्किल सभी आसान हों सब की...रब हो न किसी के लिए  दुश्वार नया साल..। 

खरगोन की युवा कवियत्री डाॅ. महिमा दुबे ने काव्यपाठ किया- कब से जज्बातों को थाम रखा है...होठों  में दबा के तेरा नाम रखा है...। जयपूर राजस्थान की सपना गुप्ता 'भूमि' ने गज़ल पढ़ी- लम्हा-ए-आइंदा जाने क्या लेकर आए...सामान तू मेरी रहगुज़र का कर दे...। इंदौर की वरिष्ठ कवियत्री डॉ. दविंदर कौर होरा ने वाहे गुरू से अरदास अपनी रचना के माध्यम से प्रस्तुत की- करतार है, प्रभु तु पालनहार है...जिग्यासाओं में खारे समंदर की धार है...। अनूपपुर की युवा तरूणाई कवियत्री पुनम आदित्य ने वियोग गीत पढ़कर भावविभोर कर दिया-पिया मोरे काहे न आए...सावन हाएं बीता जाएं...जोधपुर राजस्थान की वरिष्ठ कवियत्री बंसती पंवार ने कविता पाठ किया-बादलों की ओट से...झांका है सर्दी ने...की है एंट्री...ठंड  से...कांपने  लगे हैं रिश्ते...संवेदनाएं...बर्फ़  सी...जमने  लगी  हैं...आओ...कुछ तिनके...बटोर कर जलाएं...इन्हें जमने से...बचाएँ...। 

काव्यपाठ में महिला कवियत्रीयों का रहा दबदबा...

मोनिका शर्मा "मन" गुरूग्राम हरियाणा से काव्यपाठ किया- जीवन के संघर्ष में अभी एक उम्मीद बाकी है....जीते हैं ख्वाब में सबधरा पर आना बाकी है...। अलीगढ़ उत्तर प्रदेश की बहुत ही खुबसूरत सूरत और आवाज़ की मालिक अर्चना फौज़दार ने कविता पढ़ी- प्रीति की कोई रीति न होती...काहे जग ना जाने?...मन में बसिया, जो मन बसिया...मन उसकी ही माने...। दुर्ग छत्तीसगढ़ की ग्यारह वर्षीय नवोदित कवियत्री महक डाॅन गोधा 'मासूम' ने रचना पढ़ी- अखण्ड भारत का अस्तित्व यूं ही बना रहे...भारत हमारा सदैव विश्वगुरू बना रहे...प्रेक्षा डाॅन गोधा 'परी' ने पिता पर काव्यपाठ किया- जहाँ से माँ की ममता...दुनिया की विषमता शब्दों की समानता...का ज्ञान मिलता है...वो एक शख्स पिता कहलाता है...। 

प्राजक्ता डाॅन 'प्रतिभा' ने भिलाई से काव्यपाठ किया-सागर सी आंखे है ख्वाबों भरी...जाने क्या है इसमे जादूगरी...कुछ बात है या ख्वाब अधूरे...कुछ है बाकी कुछ हो गए पूरे...। महू से पायल परदेशी, दुर्ग भिलाई से अनुराधा बक्शी 'अनु' और नेहा पंडित ने भी काव्यपाठ किया। संचालन जितेन्द्र शिवहरे ने किया।

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