विजय दशमी के उपलक्ष में आयोजित सम्मान समारोह एवं कवि सम्मेलन सम्पन्न

मार कर ब्राह्मण को पुतला फूंकते हो! आज भी..? 

मनोज मौर्य 


लखनऊ। मार्तण्ड साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्था के तत्वाधान में आयोजित सम्मान समारोह एवं कवि सम्मेलन सम्पन्न आज मार्तण्ड साहित्यिक साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्था के तत्वाधान में कवि सम्मेलन एवं सम्मान समारोह का सफल आयोजन आंन लाइन किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार, कवि, लेखिक अध्यक्ष अनिरुद्ध काव्य धारा संस्था गदरपुर (ऊधमसिंह नगर) उत्तराखण्ड सुबोध कुमार शर्मा "शेरकोटी" ने किया।



इसका संयोजन सुरेश कुमार राजवंशी के कविता सत्यपाल सिंह 'सजग' की वाणी बन्दना से शुभारंभ हुआ। गदरपुर उत्तराखण्ड के कवि सुबोध कुमार शर्मा ने 'काम क्रोध मद लोभ को त्याग दे, मां के चरणों में विरागदे', अंतर में जो बैठा है रावण उसको हम सद्यः ही निकाल दे' सुना कर मंत्रमुग्ध कर दिया।


मन' ने लोगों को अक्सर आग से बचकर चलते देखा है, हमने बाज को मगर तुफानों से लड़ते देखा है.. 


कवि पं. बेअदब लखनवी--मार कर ब्राह्मण को पुतला फूंकते हो आज भी! 'खुश भला क्यूँ हो रहे हो नेक था वो आदमी' सुना कर मंत्रमुग्ध कर दिया। कवि सुरेश कुमार राजवंशी ने 'खिलते हैं हृदय में सुमन, सजन सावन के महीने में' कवि सरस्वती प्रसाद रावत लखनऊ ने 'समय न काहू साथ है,समय न काहू हाथ'। भूत भविष्य के फेर में व्यर्थ में रगड़त माथ'। बांगीधार, सल्ट, अल्मोड़ा उत्तराखण्ड से कवियत्री डा० शशि जोशी 'शशी' ने 'नए दौर ने जादू फेरा, बात पुरानी छूमंतर, पास-पड़ोसी, सुख-दुख गपशप, शाम सुहानी छूमंतर'। काशीपुर उत्तराखण्ड से कवि अनिल सारस्वत ने कायर चीन की कायर सेना का एक दृश्य दिखाता हूं जो लड़ने से पहले रोते उनकी झलक दिखाता हूं।


कुछ दीप. ऐसे भी धर दें, तम को चीर तनिक उजाले भर दें.. 


नैनीताल उत्तराखण्ड से कवियत्रीलक्ष्मी बड़़शिलिया "बीना" ने आओ! "कुछ दीप. ऐसे भी धर दें, तम को चीर तनिक उजाले भर दें"। नैनीताल उत्तराखण्ड से कवि सत्यपाल सिंह "सजग" ने "राम लला रघुपति पद वन्दन सरयू जल से टीका चन्दन करो जग का प्रभू कल्याण अयोध्या सजने लगी"। खटीमा उत्तराखण्ड से कवि राम रतन यादव ने "कृपा प्रभु की जिस पर उसका तम मिट जाता है जो भजता प्रभु राम को मन से जग में दुख नहीं पाता है"। खटीमा उत्तराखण्ड से कवियत्री रेखा सहदेव ने "सरोवर, ताल, तलैय्या बाज बुरांवा की सहेली हूॅ"। नैनीताल उत्तराखण्ड से कवियत्री मंजूलता 'मन' ने लोगों को अक्सर आग से बचकर चलते देखा है, हमने बाज को मगर तुफानों से लड़ते देखा है।


इस कार्यक्रम में उपस्थित कवि सर्व पं० बे अदब लखनवी, कवि एस के राजवंशी, कवि सत्यपाल सिंह "सजग" उत्तराखण्ड, कवयित्री लक्ष्मी बड़शिलिया, बीना उत्तराखण्ड, कवि रामरतन यादव उत्तराखण्ड, कवि सुबोध कुमार शर्मा, एस पी रावत कवि अनिल सारस्वत, कवियत्री रेखा सहदेव,' डा शशि जोशी, 'शशी' मंजुलता मन, कवि प्रेम शंकर शास्त्री बेताब सहित लगभग बीस कवियों ने समसामयिक रचनाओं को सुनाया। अन्त में संस्था के अध्यक्ष सरस्वती प्रसाद रावत जी ने सभी विदुषी विद्वानों साहित्यकारों कवियों कवियत्रीयों को सम्मानित कर धन्यवाद ज्ञापित कर समारोह का समापन किया।



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