कोरोना से बचाव अभियान में चिकित्सकों का सबसे अहम योगदान
देवरिया। डॉक्टरों को धरती का भगवान कहा जाता है। कोरोनाकाल में उनके इस रूप को दुनिया ने साक्षात देखा है। कोरोना से बचाव अभियान में तमाम चिकित्सकों का सबसे अहम योगदान है, आठ घंटे कर्तव्य निभाने डॉक्टर अपने घर का रास्ता भूल दिन-रात मरीजों की सेवा में जुटे हैं। ड्यूटी के दौरान ही बीमार पड़े। पर्सनल प्रोटेक्टिव किट (पीपीई) किट में तमाम परेशानी झेली, लेकिन कोरोना को मात देकर फिर से मरीजों की सेवा में जुटने को तैयार है।
उपचार, जांच, सैंपलिंग, सर्विलांस, प्रबंधन, टेलीमेडिसन सेवा समेत तमाम मोर्चों पर डाक्टर योद्धाओं की तरह डटे हैं। बच्चों, परिजनों से दूर रहकर मरीजों की सेवा में जुटे है। कोई वीडियो कॉल पर बच्चों से बात करता, तो कोई घर जाने पर घंटों तक बच्चों से अलग रहता हैं। जिला अस्पताल के एमसीएच बिंग के एल-2 हास्पिटल के के इंचार्ज डॉ इनायत हसन कोरोना ड्यूटी के दौरान बीमारी हो गए।
डॉक्टरों को धरती का भगवान कहा जाता है..
कोरोनाकाल में डॉ. इनायत को इस रूप को दुनिया ने साक्षात देखा!
उनका जज्बा देखिए गोरखपुर में करीब 18 दिन इलाज के बाद जब उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई तो उसके बाद होम आइसोलेशन का समय पूरा होते ही दोबारा ड्यूटी पर आकर 2 अक्टूबर से एल 2 अस्पताल में मरीजों की सेवा कर रहे हैं। डॉ. इनायत बताते हैं कि पीपीई किट में कई बार सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है। चेहरे पर मास्क की वजह से निशान पड़ गये हैं।
दस से पंद्रह मिनट में पसीने से बदन तर बतर हो जाता है। पानी भी पी नहीं सकते हैं। लेकिन मरीजों को बचाना है, तो देशहित में ये सब सहने की अब आदत हो गई है। सराहनीय है चिकित्सकों साहस सीएमओ डॉ. आलोक पांडेय का कहना है पीपीई किट में चिकित्सकों का सांस लेना मुश्किल हो जाता उमस भरी गर्मी में डाक्टर आठ आठ घंटे तक वार्डों में रहकर मरीजों को देखते हैं। मरीजों के इलाज में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। कोरोना को हराकर फिर मरीजों की सेवा में लगे चिकित्सकों का साहस सराहनीय है।