समय न कभी रुकता है और न थकता है..

घंटाघर की घड़ी की सुइयां जल्द करेंगी टिक-टिक

हर गुजरा पल एक इतिहास छोड़ जाता है..


अद्विता कुशवाहा 


बदायूँ। जिलाधिकारी कुमार प्रशान्त एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार त्रिपाठी ने उझानी के घंटाघर को भी देखकर इसे ठीक कराने व घंटाघर की मरम्मत कराने के निर्देश दिए हैं..


कभी समय के पहरेदार रहा घंटाघर भी आज खामोश हो गया है और इतिहास बनने की ओर अग्रसर हैं। ये घंटाघर कभी शहरी जिंदगी में अहम स्थान रखते थेहर घंटे के बाद इनकी आवाज लोगों को समय का भान कराते थेघंटाघर से घंटे की आवाज लोगों को सुलाती और जगाती थी तो कामकाज के दौरान समय भी बताती थी। लेकिन, अब ये अप्रसांगिक हो गए हैं।



शहरों में लोगों को समय बताने के लिए ऊंचे बुजों पर विशाल घडियां लगाई गई थी। इन घंटाघरों पर लगी घड़ी दूर से ही लोगों को समय बता देती थीये इतना सटीक होती थीं कि शहर में समय का पैमाना होती थीं और लोग इससे अपनी कलाई घड़ी का समय मिलाते थे। ये घंटाघर सबसे अहम लैंडमार्क भी होते थे। मगर घंटाघर खुद में इतिहास समेटे हुए हैं।


घंटाघर की घड़ी आज खामोश है..


मानों चुपचाप खड़े होकर बदलते वक्त को देख रही...


ऐतिहासिक धरोहर घंटाघर की घड़ी को बंद हुए लम्बा समय हो चुका है। डीएम, एसएसपी के जायजे के बाद स्थानीय लोगों को अब उम्मीद है कि शायद जल्द ही घड़ी की सुईयां फिर से टिक टिक करने लगेंगी।



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