सम्मान करना सीखो धरा का

रश्मि पहली किरण


बायरस तांडव 


हर तरफ चित्कार और ,संताप का माहौल है 
समय चक्र के आगे आज मानव 
मूक और बेहाल है ।
सृष्टि के गर्भ में ना जाने कहां शांति हुआ हलाल है
आज मानव को अपने कुकृत्यों पर हो रहा 
मलाल है ।।
विश्व चमन यूँ उजर रहा,
मानो गज वन को रौंद रहा 
पग पग पर करुणा- क्रंदन का हृदय विदारक दृश्य है नाच रहा।
संग्राम यह देखो कैसा है 
नर जीवन को है तरस रहा
विज्ञान ने घुटने टेके है ऐसा वायरस फैल रहा 
चहू ओर भुवन पर पड़ पीड़ा है 
ये कैसा घोर अंधेरा है  मानव मानव से है दूर हुआ ऐसे अब वक्त ने घेरा है।
उगते सूरज सी खिलती धरती जाने कैसे हैं मंद परी 
विश्व पटल पर विश्व पटल पर महामारी से लाशों की है ढेर लगी ।।
जागो मानव अभी छोड़ो रन और वल का मद संगम कितना खोदोगे गोद गोद कर प्रकृति का यह दृश्य विहंगम ।
संसार का नाम है पार करो संसार का ना व्यापार करो यह सौदा नहीं सौगात बड़ा सीखो सहेज इसका इसकी रक्षा करना मत और दिखा औकात बड़ा ।।
बल के मद में अंधे होकर कितना विनाश करवाओगे  अब भी अगर सम्हलोगे
जाने कितने ठोकर  तुम खाओगे।
कर तांडव विनाश का आपस में बस खाक में मिल तुम जाओगे 
करना सीखो सम्मान धरा का वरना दो गज कफन भी ना तुम पाओगे ।।


 


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