सच्चाई के साथ ही अनुभव की कलम चले..

भूपेंद्र तोमर 


लिखने से पहले ,


कुछ सार्थक कहने , करने को ,
चिंतन ,  मनन करें ।
उसके बाद ही लिखते लिखते कलम बढ़े ।।
असत्य लेखो से ना  ,
शब्दों को  छले ।
सच्चाई के साथ ही ,
अनुभव की कलम चले ।।
कलम की धार ,
शास्त्रों से भी तेज है ।
कलम का वार ,
अजय , अभेद हैं ।।
कलम की ताकत , 
अदभुत नेक है ।
कलम परिवर्तन ला सकती हैं ।
कलम आंदोलन करा सकती हैं ।।
कलम हसा सकती हैं।
कलम रुला सकती हैं।।
कलम तो कलम है ।
कलम बना सकती हैं ।
कलम  मिटा सकती हैं।।
कलम की महिमा अपरम्पार है।
हे ! कलम तू ही मेरा प्यार है ,
तू ही सम्मान , तू ही संसार है ।।


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