सरकार के दावों से कोसों दूर पूंजी निवेश और रोजगार सृजन की हकीकत -उर्वशी

डिफेन्स एक्सपो 2020 की सूचनाओं को वॉलीबाल बनाकर एक दूसरे के पाले में पास कर रहे उद्योग बन्धु और यूपीडा के पीआइओ...



उर्वशी शर्मा


सरकार के दावों से कोसों दूर पूंजी निवेश और रोजगार सृजन की हकीकत..


लखनऊ. यूपी में नए पूंजी निवेश और नए रोजगार सृजन के योगी सरकार के दावों पर ‘नाम बड़े पर दर्शन छोटे’ वाली कहावत चरितार्थ होती दिख रही है. यूपी की राजधानी लखनऊ निवासी उर्वशी शर्मा की एक आरटीआई पर उद्योग बन्धु और यूपीडा से आये जवाबों से सूबे में नए पूंजी निवेश और नए रोजगार सृजन के मुद्दे पर बड़े-बड़े दावे करने वाली सरकार चौतरफा घिरती नज़र आ रही है. बताते चलें कि एक्टिविस्ट उर्वशी ने बीती 19 फरवरी को सूबे के उद्योग बन्धु के जन सूचना अधिकारी ( पीआइओ ) को 12 बिन्दुओं की आरटीआई अर्जी भेजकर इन्वेस्टर्स समिट 2018, इन्वेस्टर्स समिट 2019, हाल ही में आयोजित हुए डिफेन्स एक्सपो 2020 के आयोजनों पर हुए सरकारी खर्चों, इन आयोजनों में शामिल डेलीगेट्स, पूंजी निवेश और रोजगार सृजन के निर्धारित लक्ष्यों और अब तक प्राप्त लक्ष्यों से सम्बंधित सूचनाएं माँगी थीं.


नव रोजगार सृजन का ढाई प्रतिशत लक्ष्य भी हासिल नहीं कर पाई यूपी सरकार..


देश के प्रमुख आरटीआई कार्यकर्ताओं  में शुमार होने वाली उर्वशी बताती हैं कि डिफेन्स एक्सपो 2020 की सूचनाओं के मुद्दों को ले उद्योग बन्धु के पीआइओ हरगोविन्द सिंह ने यूपीडा के पाले में पास किया और अब यूपीडा के पीआइओ संजय चावला ने उद्योग बन्धु को बापस भेज दिया है. इस प्रकार उनकी आरटीआई को वॉलीबाल की तरह से एक पाले से दूसरे पाले में भेजा जा रहा है लेकिन डिफेन्स एक्सपो जैसे महत्वपूर्ण आयोजन के खर्चों आदि की सूचना नहीं दी जा रही है. उद्योग बन्धु के पीआइओ हरगोविंद ने समाजसेविका उर्वशी को बताया है कि प्रदेश सरकार वित्तीय वर्षवार पूंजी निवेश की  सूचना नहीं रखती है और उर्वशी को वित्तीय वर्ष 2011-12 से 2019-20 तक उत्तर प्रदेश में सभी क्षेत्रों में हुए सरकारी व प्राइवेट पूंजी निवेश तथा  रक्षा क्षेत्र में हुए सरकारी व प्राइवेट पूंजी निवेश की वित्तीय वर्षवार सूचना देने में असमर्थता जाहिर कर दी है. उन्होंने इन्वेस्टर्स समिट 2018 के साथ-साथ इन्वेस्टर्स समिट 2019 की भी सूचनाएं माँगी थीं लेकिन उद्योग बन्धु के पीआइओ हरगोविंद सिंह ने इन्वेस्टर्स समिट 2019 से सम्बंधित कोई भी सूचना नहीं दी है और मात्र इन्वेस्टर्स समिट 2018 से सम्बंधित कुछ सूचनाएं देकर अपना पल्ला झाड़ लिया है. उर्वशी को बताया गया है कि  इन्वेस्टर्स समिट 2018 में नीदरलैंड्स, जापान, चेक गणराज्य, फिनलैंड, थाईलैंड, स्लोवाक गणराज्य, बेल्जियम, मॉन्टेनेगरो और नेपाल समेत 10 से अधिक देशों के 7 हज़ार डेलीगेट्स ने भाग लिया था.


सरकार को नहीं है वित्तीय वर्षवार पूंजी निवेश की कोई जानकारी..

हरगोविंद ने उर्वशी को बताया है कि 21-22 फरवरी 2018 में आयोजित उत्तर प्रदेश इन्वेस्टर्स समिट में अकेले उद्योग बन्धु स्तर से विभिन्न मदों में 19 करोड़ 34 लाख रुपये खर्च किये थे. उर्वशी को दी गई सूचना के अनुसार समिट के दौरान हस्ताक्षरित किये गए 1045 एमओयू में से मात्र 90 परियोजनाओं का वाणिज्यिक परिचालन प्राम्भ हुआ है और 161 अन्य परियोजनाएं क्रियान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं. इस प्रकार सरकार के दावों के उलट 9 प्रतिशत से भी कम परियोजनाएं अमली जामा पहन सकी हैं और 16 प्रतिशत से भी कम अन्य परियोजनाएं क्रियान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं. उर्वशी कहती हैं कि इन आंकड़ों के अनुसार अब तक 1045 में से मात्र 251  यानि कि मात्र 24 प्रतिशत ( एक चौथाई से कम ) परियोजनाओं पर काम कुछ आगे बढ़ा है और 794 यानि कि 76 प्रतिशत ( तीन चौथाई से अधिक ) परियोजनाओं पर अभी तक कोई काम शुरू तक नहीं हो सका है.


इन्वेस्टर्स समिट 2019 की भी नहीं दी कोई सूचना..


पूंजी निवेश की धनराशि के मसले पर हरगोविंद ने उर्वशी को बताया है कि 21-22 फरवरी 2018 में आयोजित उत्तर प्रदेश इन्वेस्टर्स समिट के दौरान 4 लाख 28 हज़ार करोड़ रुपयों के एमओयू हस्ताक्षरित किये गए थे जिन में से मात्र 38 हज़ार चार सौ नौ करोड़ रुपयों की परियोजनाओं का वाणिज्यिक परिचालन प्राम्भ हुआ है और 55 हज़ार तीन सौ सात करोड़ रुपयों की अन्य परियोजनाएं क्रियान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं. इस प्रकार सरकार के दावों के उलट अब तक 9 प्रतिशत से भी कम वास्तविक पूंजी निवेश हुआ है और 13 प्रतिशत से भी कम पूंजी निवेश वाली अन्य परियोजनाएं क्रियान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं.  इन आंकड़ों के अनुसार अब तक 4 लाख 28 हज़ार करोड़ रुपयों के पूंजी निवेश के लक्ष्य में से कुल  93 हज़ार सात सौ पंद्रह करोड़ यानि कि मात्र 22 प्रतिशत (एक चौथाई से कम) पूंजी निवेश की दिशा में काम कुछ आगे बढ़ा है और 3 लाख 34 हज़ार करोड़ से अधिक यानि कि 78 प्रतिशत से अधिक (तीन चौथाई से अधिक) के पूंजी निवेश की परियोजनाओं पर अभी तक कोई काम शुरू तक नहीं हो सका है.


पूंजी निवेश और परियोजनाओं के एक चौथाई लक्ष्य से भी पीछे है..


नवीन रोजगार सृजन के मसले पर हरगोविंद ने उर्वशी को बताया है कि 21-22 फरवरी 2018 में आयोजित उत्तर प्रदेश इन्वेस्टर्स समिट के दौरान हस्ताक्षरित एमओयू से 38 लाख रोजगार के अवसरों का सृजन संभावित था जिन में से प्राम्भ हो चुकी परियोजनाओं में मात्र 96 हज़ार रोजगार के अवसरों का सृजन संभावित है. उर्वशी कहती हैं कि इस प्रकार सरकार के दावों के उलट अब तक रोजगार सृजन के मात्र ढाई प्रतिशत लक्ष्य को ही हासिल करने की संभावनाएं है. बकौल उर्वशी सूबे के युवाओं को रोजगार सृजन के सब्जबाग दिखाने वाली योगी सरकार पर ‘नौ दिन चले अढाई कोस’ वाली कहावत चरितार्थ हो रही है. इतने कम रोजगार सृजन को सूबे के युवाओं के साथ धोखा देने जैसा बताते हुए उर्वशी ने शीघ्र ही इस मामले में हाई कोर्ट में जनहित याचिका डालने की बात कही है.


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