मंजर तबाही का दिखेगा सोचा भी ना था
डॉ बीना सिंह दुर्ग छत्तीसगढ़
मौसम ऐसा बदलेगा कभी सोचा भी ना था
मंजर तबाही का दिखेगा सोचा भी ना था
कहां एक दूजे को खत्म करने में लगे थे
कुदरत ऐसा कर डालेगा सोचा भी ना था
उजड़ बिखर जाएगी इस तरह जिंदगी
लाशों का ढेर जैसे इंसा सोचा भी ना था
नादान पाक बन सजदा कर रहे हैं सभी
दुआएं नसीब ना होगी सोचा भी ना था
सजाए दर्द-ए-ग़म अब तो सहना ही होगा
सजा-ए-मौत इस कदर सोचा भी ना था