कुछ सर्द....
सुरेंद्र सैनी बवानीवाल
कहीं हुआ है ह्रदय वृहद्.
छोटी ओछी हरकतों से,
होता है दुख बेहद.
दुश्मन अकसर सीजफायर से,
पार कर रहा हद.
जवान हमारे तैनात है,
नहीं सूनी रही सरहद.
कुछ नेता उनसे मिले हुए,
चाहे जनता हो दहशतगर्द.
उनकी राजनीति चमक उठी,
ना देखा कश्मीर का दर्द.
हालात ने बेघर कर दिया,
हुई रातें बहुत ही सर्द.
कितने लोग बर्बाद हुए,
देगा कौन हिसाब -ए-फर्द.
कुछ बातें अपने हाथ नहीं "उड़ता ",
ना टूटने दो विचारों का संसर्ग.