कोई कोशिश ना हुई सरकार की

आदतें बन गयी सदाचार की


सुरेंद्र सैनी बवानीवाल 


संस्कार की बात करते-करते 
दुनियादारी में चलते-चलते 
हम भूल गए बाकी सरोकार की 
बातें करना अधिकार की. 


दायित्वों में दबे हुए
जिम्मेदारिओं को ढ़ोते हुए
आदतें छूट रही व्यवहार की. 


हमारी बेबसी का आलम एैसा रहा 
कोई कोशिश ना हुई सरकार की 
अपने बारे में खुद सोचना होगा 
राजनेताओं को नहीं दरकार की. 


बातें हुई बहुत संस्कार की 
आदतें बन गयी सदाचार की 
जीवन एैसे रहेगा "उड़ता ", 
नाउम्मीद होकर सरकार की. 


 


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