होके नासाज़ मेरे पंख कतरना मत..

सुरेंद्र सैनी बवानीवाल


बदलना मत.... 


मेरी किसी बात पर उछलना मत. 
कभी जरुरत पड़े तो बदलना मत. 



तेरे आगोश की कबसे तमन्ना है, 
बाँहों में आओ तो संभलना मत. 


जनता हूँ तुझे मैं इतना पसंद नहीं, 
बस तू कभी मेरे साथ अकड़ना मत. 


तुझे मैंने चाहा सदा हमसाया बनकर, 
साथ रहना, बेशक़ हाथ पकड़ना मत. 


तुम्हारे साथ ख़्वाब में मचलता हूँ, 
लेकिन तुम, मेरी नींद जकड़ना मत. 


कितना, कबसे दौड़ रहे हो "उड़ता ", 
होके नासाज़ मेरे पंख कतरना मत. 


 


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