चलो जिया जाए

तेरी जरूरतें थोड़ी सी


सुरेंद्र सैनी बवानीवाल 


रब से जो ज़िन्दगी मिल गयी, 
क्यों ना इसे जिया जाए.
अपनी खुद की हस्ती मिल गयी, 
फिर क्यों शोहरत मांगी जाए. 
वक़्त निकल ना जाए उधेड़बुन में, 
क्यों जीने की मोहलत मांगी जाए. 
तेरी जरूरतें थोड़ी सी है, 
क्यों बेइंतहा दौलत मांगी जाए. 
ये कफन, जनाजे और क़ब्र सत्य है, 
बेहतर कोई सोहबत मांगी जाए. 
पीड़ा ने तुमको कुंदन बनाया "उड़ता ", 
क्यों ना वजय-ए-ज़िन्दगी जिया जाए.


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