चारित्रिक श्रेष्ठता प्रमाणित करने को तैयार हैं??

अजय कुशवाहा 


द्वितीय विश्वयुद्ध का समय...


जर्मनी के बमवर्षकों का खौफ...
लन्दन में दूध की लंबी लाईन...
वितरण कर रहे व्यक्ति ने घोषणा की- केवल एक बोतल और है, बाकी के लोग
कल आयें।
आखिरी दूध की बोतल जिस शख्स के हाथ आई उसके ठीक पीछे एक महिला खड़ी थी जिसकी गोद में छोटा बच्चा था। उसके चेहरे पर चिंता की लकीरें उभर आईं लेकिन अचानक उसने देखा वितरण करने वाला व्यक्ति उसके हाथ में बोतल थमा रहा था। वह चौंकी!! उसके आगे खड़ा व्यक्ति बिना दूध लिए लिए लाईन से हट गया था ताकि छोटे बच्चे को गोद में लिए वह महिला दूध हासिल कर सके।
अचानक तालियों की आवाज आने लगी।
लाईन में खड़े सभी व्यक्ति उस शख्स का करतल ध्वनि से अभिनन्दन कर रहे थे।लेकिन उस शख्स ने उस महिला के पास जाकर कहा आपका बच्चा बहुत ही प्यारा है। वह इंग्लैंड का भविष्य है उसकी अच्छी परवरिश करिए।
इस घटना की खबर जब प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल के पास पहुंची तो वे जर्मनी के जबरदस्त हमलों की विभीषिका से उत्पन्न चिंता से उबरकर बोल पड़े-
"हिटलर को संदेश भेज दो , ब्रिटेन की जीत को कोई नहीं रोक सकता क्योंकि यहां के लोग देश पर मंडरा रहे संकट के समय अपना निजी हित भूलकर देश के बारे में सोचते हैं।"
चर्चिल का विश्वास सच निकला। ब्रिटेन विश्वयुद्ध में विजेता बनकर उभरा।


# हमारे देश पर भी संकट मंडरा रहा है।
क्या हम अपनी चारित्रिक श्रेष्ठता प्रमाणित करने को तैयार हैं??


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