आज किसान हताश है निराश है?
महफिल मे चलती रही मेरे कत्ल की तैयारी!
और हम पहुंचे तो बोले बहुत लम्बी उम्र है तुम्हारी!
शिवम रावत
प्रकृति फागुन के इस मस्त महीने में खिलखिलाती थी, मुस्कराती थी, लोगो के दिलों दिमाग में ताजगी भर देती थी, आज कुपित है, झंझावाती हवाये चल रहीं है। आसमान से ओले बरस रहे है। बादलो की गङगङाहट के बीच चमकती चपला दहशत पैदा कर रही है बाग बगीचों खेतों में उदासी का माहौल कायम है। किसान अपनी गाढी कमाई की बर्बादी को सोच कर मायूस है। पशुपक्षी भी इस बे मौसम बर्षात से बेहाल है।
आसमान पर उमङते घुमङते बादल कहर बरसाने का इशारा कर रहे है।गजब का मंजर है कांप रहा है किसान प्रकृति के इस आजूबा खेल को देखकर ! खेतों में खङी लहलहाती फसल को देखकर भविष्य का ताना बाना बुनने वाला इस देश का अन्नदाता सरेयाम प्रकृति की महफील में बे मौत मरने के तरफ बढ रहा है।
तेज हवाओं के चलते गेंहू की फसले धरती पर लोट रहीं है। उपर से पानी का कहर जहर बनकर जीवन की आश पर तुषारापात कर रहा है। जिस तरह आज अभी अभी आसमान से कालिमा के बीच भयंकर बर्षात हो रही है ऐसा तो सावन भादो माह मे भी नही देखा गया था। कुपित प्रकृति का नजारा आज देखकर हर कोई थर्रा उठा है। भयंकर आधी पानी के सनिध्य में बर्बाद हो गयी किसानी! महज चन्द मिनट गुजरे है! बादलो की गङगङाहट के बीच भयंकर अट्टाहास करता काल बिकराल बना काला बादल व आसमान से दहाङ मारती जमी पर मुसलाधार बर्बादी व सिहरन पैदा करने वाली हुँकार भरती तेज हवाओं के बीच बर्षात ने सब कुछ पल में ही बदल दिया। लग रहा था आज सब कुछ खत्म हो जायेगा ! इस देश के परिवेश में बदल रही है कायनाती ब्यवस्था? इन्सान चाहे कितना भी काबिल बन ले लेकीन कायनात संचालित करने वाले की नजर थोङी सी झुकी तो सब कुछ पल भर में ही बदल जाता है।
आज इस नजारे को बहुत करीब से देखने का मौका मिला है। सम्पादकीय लिखने के पहले आसमान साफ था मौसम सुहाना था। आसमान मुस्करा रहा था। भगवान भाष्कर गनतब्य के तरफ निकल चुके थे कि एकायक आसमान न काला होने लगा भयानक गर्जना के बीच तेज हवाये चलने लगी पलक झपकते ही सब कुछ बदल गया मानो आज आसमानऔर धरती का मिलन होने वाला है!। गरजदार आवाज ङर पैदा करने वाली चंचल चपला उमड़ते घुमङते भयंकर उत्पात मचाते पवन बेग के साथ कोलाहल करते बादल, आसमान में सप्तरंगी इन्द्रधनुष के साथ सम्मोहन भरी इन्द्रधनुषी छटा, के बीच अपनी आभामयी मुस्कराहट के साथ बिलुप्त हो गये भगवान भाष्कर! किसान परेशान अपने भाग्य को कोष रहा है। देश की बदलती तस्बीर के साथ ही प्रकृति भी अपना रंग बदल रही है। होली के मस्त महीने में सभी पश्त हो गये !आसमान से गिर रही पानी के बूंदो मे अकुलाहट है, छट पटाहट है, मानो ऐसा लग रहा है जैसे बर्षो बन्धक बनाने के बाद के उसे स्वक्षन्द बिचरण करने के लिये छोङ दिया गया है।
खेतों मे फसलो को देखकर किसान हताश है निराश है..
कुछ देर पहले का नजारा पल भर में ही बदल गया! बे मौत मारा गया किसान,! हर तरफ दिखाई दे रहा है बर्बादी का निशान?अब भी आसमानी कहर जारी है लगता है बर्बादी की कायनात ने कर ली पूरी तैयारी है।बस इन्साफ पशन्द कायनाती ब्यवस्था में कहीं कोई भेद भाव नहीं है न इसकी ब्यवस्था में न जाति पांति है न देश काल की कोई सीमा है।एक तरफ से शूरू किया तो दुसरी तरफ कभी खुशहाली तो कभी तंगहाली का निशान छोङ दिया। हर तरफ बदलाव कर रही है अदृश्य सत्ता! कहीं कैरोना से तबाही मचा रही है तो कहीं सुनामी तो कहीं भुकम्प तो कभी भयंकर पानी तो कभी बाढ तो कभी आग से अपनी ब्यवसाथा का बैलेन्स बनाती रहती है। हर तरफ करिष्माई कहर जारी है ब्यवसाथा बदलने की पूरी तैयारी है? आज प्रकृति का रौद्र रूप देखकर हर कोई कांप उठा है।
महज चन्द मिनटों मे सब कुछ बदल गया है। हर तरफ पानी पानी चारो तरफ तबाही की निशानी? फागुन का मस्त महीना तबाही का गवाह बन कर रह गया है। न कहीं झाल न मजीरा न हर्ष न उल्लास! मौसम गीला गीला! हर कोई उदास ? बदलता मौसम बदलता देश बदलता परिवेश सब कुछ हो रहा है परिवर्तित! आसमानी कहर का शिकार किसान है आज चिन्तित ! अन्नदाता कहा जाने वाला किसान खुद ही भूखमरी के तरफ बढ रहा है।
आज की भयंकर तुफानी बर्षात ने सिर्फ तबाही छोङा है। कल क्या हो किसने जाना लेकीन बर्तमान तो सिसकने के लिये मजबूर कर दिया है।मजबूर कर दिया है। सरकार से उपेक्षित किसान प्रकृति के अनूठे साक्ष्तकार से दहला हुआ है।देखिये आने वाले समय मे अभी क्या क्या देखने को मिलता है।खेतों मे फसलो की बर्बादी को देखकर किसान हताश है निराश है।