विलक्षण प्रतिभा के धनी रत्नेश कुमार

विभाज्यता का महासूत्र



कार्यालय संवाददाता 


मैनपुरी। वर्तमान समय में प्रत्येक प्राकृतिक संख्या के लिए विभाज्यता के नियम अलग-अलग हैं क्योंकि प्राकृतिक संख्याएं असंख्य है अत: विभाज्यता के नियम भी असंख्य हैं। संख्या में बहुत अधिक होने के कारण इन नियमों को समझना समझाना याद करना तथा अधिक समय तक याद रखना बहुत कठिन है। इस कठिनाई को दूर करने के लिए रत्नेश कुमार ने विभाज्यता के महासूत्र तथा विभाज्यता के तीव्रता महासूत्र की खोज की है।


इन दोनों ही सूत्रों पर भारत सरकार रत्नेश कुमार को कॉपीराइट रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट प्रदान कर चुकी है। यह सर्टिफिकेट विश्व के 136 देशों में मान्य है। सूत्रों के अलावा भी रत्नेश कुमार कुछ और सूत्रों की खोज कर चुके हैं तथा अन्य सूत्रों पर भी खोज कार्य कर रहे हैं। रत्नेश कुमार उत्तर प्रदेश के जनपद मैनपुरी कस्बा भोगांव के निवासी हैं। 


वर्तमान समय मे विभाज्यता के नियम संख्या मे बहुत अधिक हैं अतः इन नियमो को समझना, समझाना, याद करना तथा अधिक समय तक याद रखना बहुत कठिन है। रत्नेश कुमार ने विभाज्यता के महासूत्र की खोज करके इस कठिनाई को जड़ से समाप्त कर दिया है।


रत्नेश के पिता पूर्व विधायक हरीराम शाक्य नेशनल इंटर कॉलेज कस्बा भोगांव में अंग्रेजी के अध्यापक तथा इनकी माता शारदा देवी शाक्य कस्तूरबा गांधी बालिका इंटर कॉलेज में संगीत की अध्यापिका रही हैं। रत्नेश कुमार भाई बहन में सबसे छोटे पुत्र हैं रत्नेश कुमार वर्तमान समय में पूर्व माध्यमिक विद्यालय जगतपुर सुल्तानगंज मैनपुरी में गणित के शिक्षक है।


सार-वर्तमान समय में प्रत्येक प्राकृतिक संख्या के लिए विभाज्यता के नियम अलग-अलग हैं। अतः इन असंख्य नियमों को समझने में बहुत अधिक समय लगेगा तथा इन्हें अलग-अलग समझना भी बहुत कठिन है। इस कठिनाई को दूर करने के लिए यह सूत्र बनाया गया है।                             


परिभाषा 



यदि निरीक्षित की जाने वाली किसी भाज्य संख्या (ru) के इकाई अंक (u) में (R+1) का गुणा करके भाज्य की शेष बची संख्या (r) में (10-U) का गुणा करके जोड़ दें तो यदि योगफल (SRU), भाजक RU से विभाजित हो जाता है तो निरीक्षित की जाने वाली भाज्य संख्या (ru) भी भाजक RU से विभाजित हो जायेगी।


अर्थात भाजक (RU) के लिए विभाज्यता का महासूत्र निम्नवत होगा


SRU=(10-U)*r+u*(R+1)


जहॉ-


RU=भाजक (Divisor) वह संख्या है जिसके लिये विभाज्यता  का नियम बनाना है।


U=भाजक का इकाई अंक (Unit digit of divisor)


=0,1,2,3,4,5,6,7,8,9


R=इकाई अंक को छोड़ने के बाद भाजक की शेष बची संख्या (Remaining digits of divisor )


=0,1,2,3,4,5,6,7,8,9,10,11...... प्राकृतिक संख्या


ru=भाज्य (Dividend) वह संख्या है जिसे निरीक्षित करना है


u=भाज्य का इकाई अंक (Unit digit of dividend) =0,1,2,3,4,5,6,7,8,9


r= इकाई अंक को छोड़ने के बाद भाज्य की शेष बची संख्या (remaining digits of dividend)


=0,1,2,3,4,5,6,7,8,9,10,11...... प्राकृतिक संख्या


चूंकि इस सूत्र से सभी प्राकृतिक संख्याओं के लिये विभाज्यता के नियमों की उत्पत्ति होती है तथा यह एक महाव्यापक सूत्र है, अतः इस सूत्र को विभाज्यता का महासूत्र कहा गया है।


विभाज्यता के महासूत्र की विषेशतायें:


1. इस सूत्र का प्रयोग करने पर यदि योगफल (SRU) निरीक्षित की जाने वाली भाज्य संख्या (ru) से अधिक आता है तो निरीक्षित की जाने वाली भाज्य संख्या,


भाजक (RU) से विभाज्यता नहीं होगी । यह प्रथम पद (केवल एक पद) में ही ज्ञात हो जायेगा।


उदाहरण:- निरीक्षित कीजिये कि निम्न संख्यायें 198, 31 से  विभाज्यता होगी या नहीं?


हलः- भाजक (RU) के लिए विभाज्यता का महासूत्र


SRU=(10-U)*r+u*(R+1)


यहॉ भाजक (RU=31) के लिये R=3,U=1 एवं विभाज्यता का नियम


S31=(10-1)*r+u*(3+1)


S31=9r+4u................(1)


अर्थात् यदि निरीक्षित की जाने वाली किसी भाज्य संख्या (ru)के इकाई अंक (u) में 4 का गुणा करके भाज्य की शेष बची संख्या (r)में 9 का गुणा करके जोड़ दें


तो यदि योगफल (S31), 31 से विभाजित हो जाता है तो निरीक्षित की जाने वाली संख्या भी भाजक 31 से विभाजित हो जायेगी।


भाज्य =ru=198 के लिये r=19, u=8 का मान समीकरण (1) में रखने पर


अतः S31=9*19+8*4 =171+32=203


चूंकि 203>198 दूसरे शब्दों में S31> भाज्य =198


अतः 198, 31 से पूरी तरह विभाजित  नहीं होगी।


(2). इस सूत्र का प्रयोग करने पर यदि योगफल निरीक्षित की जाने वाली संख्या के बराबर अत: है तो निरीक्षित की जाने वाली भाज्य संख्या, भाजक से अवश्य विभाजित होगी। इसके लिये यह अवश्यक है कि भाज्य का मान 10 या 10 से अधिक हो। ( यह भी पहले ही पद में स्पष्ट हो जायेगा।)


उदाहरण:-निरीक्षित कीजिये कि निम्न संख्यायें 41 से विभाजित होगी या नहीं?


(क) 123 (ख) 164


हल:- भाजक (RU) के लिए विभाज्यता का महासूत्र


SRU=(10-U)*r+u*(R+1) यहॉ भाजक (RU=41) के लिये R=4,U=1 एवं विभाज्यता का नियम


S41=(10-1)*r+u*(4+1) S41=9r+5u................(1) अर्थात् यदि निरीक्षित की जाने वाली किसी भाज्य संख्या (ru)के इकाई अंक (u) में 5 का गुणा करके भाज्य की शेष बची संख्या (r)में 9 का गुणा करके जोड़ दें तो यदि योगफल (S41), 41 से विभाजित हो जाता है तो निरीक्षित की जाने वाली संख्या भी भाजक 41 से विभाजित हो जायेगी।


(क) 123 भाज्य =ru=123 के लिये r=12, u=3 का मान समीकरण (1) में रखने पर


अतः S41=9*12+5*3 =108+15=123


चूंकि S41= भाज्य; =123


अतः 123, 41 से पूरी तरह  विभाजित होगी।


(ख) 164


भाज्य =ru=164 के लिये r=16, u=4 का मान समीकरण (1) में रखने पर


अतः S41=9*16+5*4 =144+20=164


चूंकि S41= भाज्य =164


अतः 164, 41 से पूरी तरह विभाजित  होगी।


(3) “दूसरी विषेशता 10 के गुणांकों जैसे 20, 30, 40, 50 पर पूरी तरह लागू नहीं होती है। अतः भाजक एवं भाज्य जो 10 के गुणांक हैं उनको निरीक्षित करने से पूर्व


भाज्य एवं भाजक संख्याओं से शून्यों की बराबर संख्या इकाई, दहाई, सैकड़े ......आदि से हटाने के बाद ही विभाज्यता के महासूत्र का प्रयोग करना चाहिये। (जो कि बहुत ही सरल व आसान है)


उदाहरण:-निरीक्षित कीजिये कि निम्न संख्यायें 20 से विभाजित होगी या नहीं? (क)150 (ख) 170 (ग)160 (घ)180


हलः- भाजक (RU) के लिए विभाज्यता का महासूत्र


SRU=(10-U)*r+u*(R+1)


यहाँ भाजक (RU=20) के लियs R=2,U=0 एवं विभाज्यता का नियम


S20=(10-0)*r+u*(2+1) S20=10*r+u*3................(1)


अर्थात् यदि निरीक्षित की जाने वाली किसी भाज्य संख्या (ru)के इकाई अंक (u) में 3 का गुणा करके भाज्य की शेष बची संख्या (r)में 10 का गुणा करके जोड़ दें तो यदि योगफल :S20), 20 से विभाजित हो जाता है तो निरीक्षित की जाने वाली संख्या भी भाजक 20 से विभाजित  हो जायेगी।


(क) 150


भाज्य =ru=150 के लिये r=15, u=0 का मान समीकरण (1) में रखने पर


अतः S20=10*15+0*3 =150


यहाँ S20= भाज्य =150


किन्तु 150, 20 से विभाजित नहीं है। 


शेष अगले अंक में


क्रमशः ...


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