उनकी एक ख़ुशी के लिए...

मुझे क्या करना चाहिए


सुरेंद्र सैनी बवानीवाल 


उनकी एक ख़ुशी के लिए, 
मुझे क्या करना चाहिए. 


उनके लिए अकसर दुआएँ मांगता हूँ, 
मुझे कौन से मंदिर में चलना चाहिए. 


मेरा उन्हें दिख जाना भी पसंद नहीं, 
मुझे उनके सामने नहीं आना चाहिए. 


मेरी हर बात उन्हें ख़राब लगती है, 
मुझे एैसा नहीं करना चाहिए. 


क्या पता वो कब दिल तोड़ दे मेरा, 
हर एहसास मुझे अंदर रखना चाहिए. 


हर खूबसूरत चीज झूठी होती है, 
मुझे उनकी सूरत पे नहीं मरना चाहिए. 


चाहने वाले रात -दिन उन्हें सलाम करते हैं, 
मुझे ये वाक़्या समझना चाहिए. 


मैं क्यों उनकी राहों पर रुका रहता हूँ, 
मुझे उनका इंतज़ार नहीं करना चाहिए. 


जाने क्यों उनसे मुझे इतनी उम्मीदें है, 
इतना यकीं मुझे किसी पे नहीं  करना चाहिए. 


उनके बाद ज़िन्दगी में कुछ ना बचेगा "उड़ता ", 
इस जहाँ से तंग आकर मुझे मरना चाहिए.


 


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