निंदा शिकवा शिकायत

डॉ बीना सिंह, दुर्ग छत्तीसगढ़


बुराई दूजे की ना करो जो मुझ में कछु अच्छाई ना होय
निंदा  पर  निंदा क्यों करें जो जग में आप ही नींदीत होय


देख देख ईर्ष्या मन में धरे जो औरन की तरक्की होय
धीर धरे जो मन में आपन आप हो आप उन्नति होय


छोटे नीच लघु ना समझो जो तुमसे लघु होय
मान आदर सभी का करें चाहे वह गुरु या लघु होय


मनका मनका फेर कर दोष  प।रए की ना देखो कोय
शिकायत की गठरी बना तुम काहे आपन सिर पर  ढोय 


कहे बीना  सुनो भाई लोगों जिंदगी चार दिनों की होय
तोल मोलके बोलिए दिल में पीड़ा ना किसी की होय


 


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