कुछ नहीं रखा किसी जालसाज़ी में...
✍️ सुरेंद्र सैनी बवानीवाल
नज़दीक रहो....
मेरे कागज़ात ज्यों तसदीक़ रहो.
हो सके तो नज़दीक रहो.
कुछ नहीं रखा किसी जालसाज़ी में,
हो सके तो हमेशा सादिक रहो.
जज़्बात सरे -आम दिखाने की चीज़ नहीं,
भावनाओं में कैद,
दिल में हार्दिक रहो.
हर किसी में कोई ना कोई हुनर है,
बनकर पारदर्शी पत्थर स्पादिक^ रहो. (चमकदार )
मेरे कागज़ों की ज्यों तसदीक़ रहो.
"उड़ता "हो सके तो नज़दीक रहो.