कोई प्यास बाकी नहीं

रूह पर रख दो हाथ



बाकी नहीं... 


सुरेंद्र सैनी बवानीवाल


पी लिया जाम आँखों से, 
कोई प्यास बाकी नहीं. 


उतर गए दिल तक उनके, 
कोई एहसास बाकी नहीं.


चूमा जो शबनमी होठों को,  
कोई काँच बाकी नहीं. 


रूह पर रख दो हाथ, 
कोई साँस बाकी नहीं. 


तपती ख्वाहिशों को जला दो, 
कोई आँच बाकी नहीं. 


आओ भर लूं बाँहों में, 
कोई ख्यास बाकी नहीं.


तन -मन मिट गया प्यार में, 
कोई आस बाकी नहीं. 


वक़्त -ए -पहलू तेरे आगोश "उड़ता "
बिन तेरे खास बाकी नहीं. 


 


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