एक पल की झपकी
बदल रहा हालात-ए-देश कहीं
सुरेंद्र सैनी बवानीवाल
छोड़ कर जा ख़ुशी ज़माने के लिए.
नहीं ये समय आँसू बहाने के लिए.
बंद दरवाज़ों में क्या दबा है,
आने दो हवा नज़्में सुनाने के लिए.
चमन के वास्ते बहारें लाया,
कहीं उठा सैलाब तूफां लाने के लिए.
नाचती है लहरें नित्य सागर में,
कुछ करते प्रयास जल सुखाने के लिए.
बदल रहा हालात -ए -देश कहीं,
भार बन मत जी क़र्ज़ चुकाने के लिए.
एक पल की झपकी ले ली "उड़ता ",
आया एक विचार तुझे जगाने के लिए.