एक आम आदमी की सफलता

एक सच शायद


सुरेंद्र सैनी बवानीवाल 


कल मैंने एक जश्न देखा 
और मैं बहुत ख़ुश हुआ 
एक आम आदमी की सफलता पर 
जिसने खुद को सिद्ध किया था 
दुनिया की कसौटी पर 
मैंने महसूस किया 
उस सज्जन ने कितने 
दंश झेले होंगे 
कितने लोगों को समझाया होगा 
उन्हें सफलता का रास्ता बताया होगा 
लेकिन लोगों ने उसे नाकारा होगा 
उसके अपनों ने दुत्कारा होगा 
मगर उसका हौसला शानदार है 
उसने मुश्किल हालात से, 
खुद को उभारा होगा. 
और वो अपना कर्म करता रहा 
आज बाकी लोगों को 
खुद पर पछतावा होगा 
मुझे बिल्कुल ताज़्जुब नहीं "उड़ता "
हर किसी का वक़्त बदलता है 
उसका भी बदला है 
आज के बाद वो बेसहारा ना होगा. 


 


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