माना की मैं बहकता नहीं मयखानों में
कहीं आधा है.
सुरेन्द्र सैनी
दिमाग़ पर खुमार आमादा है.
तेरा हुस्न आसमान में चाँद आधा है.
वैसे तो कुदरत बहुत खूबसूरत है,
मगर तेरी अदाओं का वजन ज्यादा है.
माना की मैं बहकता नहीं मयखानों में,
तुझे देख रुक लूं दिल कहाँ शरीफज़ादा है.
तेरी सूरत बसी मेरे हर ख्याल में,
मेरे ज़हन में तेरी यादों का लबादा है.
हर शय में नज़र आती है तू "उड़ता ",
ना जाने हालात प्रहरी नर है या मादा है.