किया निछावर प्राण को, दिया देश पे वार
तीन रंग के मेल से, झंडा बना महान
विनय विक्रम सिंह
🌸 नेताजी सुभाष चंद्र बोस 🌸
.🙏🏻 श्रद्धांजलि पुष्प 🙏🏻 .
रंग श्वेत गाँधी बने, केसरिया से बोस,
रंग हरा धन धान्य से, नीला चक्र भरोस।१।
तीन रंग के मेल से, झंडा बना महान,
आहुति कोटिक शीश की, विश्व गुरू का मान।२।
चंद्र, भगत, शेखर, खुदी, जैसे वीर सपूत,
तोड़ी बेड़ी मातु की, कर शासन *परिभूत।३।
भारत माँ की दुर्दशा, देखें दुखित सुभाष,
पराधीन अब ना रहूँ, कसा तुरत मन *काष।४।
पराधीन हम क्यों भला, जागा मन में रोष,
बापू सीधी राह से, नहीं मिटे यह दोष।५।
समझाया बहुभाँति से, देश कष्ट दुख हाल,
गाँधी हिय उतरी नहीं, सिंह मार्ग की चाल।६।
बापू सँग बैठा नहीं, गर्म रक्त का मेल,
समझ गए थे बोस जी, अंग्रेजों के खेल।७।
प्रेम अहिंसा छोड़ के, माँग रक्त की धार,
जयतु हिन्द जयकार से, सेना की तैयार।८।
माँ से माँगा पुत्र को, सधवा लिया सुहाग,
गहना, बाली कान की, माँग जलायी आग।९।
जोड़ तोड़ ले दान भी, सेना बनी विशाल,
हिटलर भी हतप्रभ हुआ, देख शौर्य की ज्वाल।१०।
अग्नि भाँति सेना बढ़ी, दावानल सी तेज,
किस्से सुन के शौर्य के, दहले हिय अंग्रेज।११।
लड़े अंत तक बोस जी, जब तक तन में प्राण,
दुर्घटना में हत हुये, यद्यपि नहीं प्रमाण।१२।
किया निछावर प्राण को, दिया देश पे वार,
हे सुभाष तुम को नमन, करे देश सौ बार।१३।