जंग नहीं हारी हौसलों से...
कुछ कह लेते!
सुरेन्द्र सैनी
काश तुम दिल की भावना में बह लेते.
कभी मुझसे दिल की बात कह लेते.
उमस भरी अंगड़ाई में मौसम बरसा,
एक बार ज़ोरदार बरसात सह लेते.
उसकी हर चाल हर शय में राज़ है,
कैसे जाकर हम उसके दिल की तह लेते.
जाने किस बात पर नाराज़ है ज़िन्दगी,
साँसों के हिसाब में कैसे सुलह लेते.
जंग नहीं हारी हौसलों से काम लें,
"उड़ता "इस दुनियादारी पर फ़तेह लेते.