बड़कऊ

मुँहु बाँधे  मूड़ी  घसे  रह्यौ


विनय विक्रम सिंह


हम उप्परि हन तुम 'तरे रह्यौ।
नित लल्लो-चप्पो करे रह्यौ।१।


हम हाथी हन, तुम हो 'भेंड़ी,
बसि 'पाँति म पाछे लगे रह्यौ।२।


कामेंट लाइक नित हमये पे,
तुम बिना कोताही किहे रह्यौ।३।


तुम्हई पै कछु लिखि ना पउबै,
तुम हुक्का हमरा भरे रह्यौ।४।


'कुदुवन ख़ातिन भल समय कहाँ,
बस 'ओरखत हमका लिखे रह्यौ।५।


रिटायर  हन  पन समय नहीं,
तुम 'ठेलुहन जइसे लसे रह्यौ।६।


हर मिनट तो हमरा महँगा है,
वहिकी क़ीमत तुम भरे रह्यौ।७।


हम बड़कऊ हन तुम हो छोटे,
मुँहु बाँधे  मूड़ी  घसे  रह्यौ।८।


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