स्वाभिमान V/S अभिमान
लालमणि मौर्य
थोड़ा सा महत्व मिलने पर दूसरों को लघु समझना अभिमानी होने का प्रमाण है जबकि लघुत्व से महत्व की ओर बढ़ना स्वाभिमानी होने की प्रमाण है। अभिमान में व्यक्ति अपना प्रदर्शन कर दूसरों को नीचा दिखाने की कोशिश करता है इसलिए लोग उससे दूर रहना चाहते हैं। सिर्फ चाटुकार लोग ही अपने स्वार्थ के कारण उसकी वाहवाही करते हैं। इसके विपरीत स्वाभिमानी व्यक्ति दूसरों के विचारों को महत्व देता है इसलिए लोग उसके प्रशंसक होते हैं। स्वाभिमान व्यक्ति को स्वावलम्बी बनाता है, जबकि अभिमानी हमेशा दूसरों पर आश्रित रहना चाहता है। स्वाभिमान एवं अभिमान के बीच बहुत हल्का सा भेद है। इन दोनों का मिश्रण व्यक्तित्व को बहुत जटिल बना देता है।दूसरों को कम आंकना एवं स्वयं को बड़ा समझना अभिमान है। एवं अपने मूलभूत आदर्शों पर बगैर किसी को चोट पहुंचाए बिना, अटल रहना स्वाभिमान है।