देश का ज़र्रा ज़र्रा जल रहा है
मंजुल भारद्वाज
हुक्मरानों की लगाई आग़ से
देश का ज़र्रा ज़र्रा जल रहा है
देश का युवा लड़ रहा है
भेड़ बने समाज में
भारत एक विचार का
जज़्बा जगा रहा है
तानाशाहों का दमन बढ़ रहा है
युवाओं का लहू उबल रहा है
कतरा कतरा बहा रहा है
साझी शहादत,साझी विरासत
सबक देश को सिखा रहा है!