चेतावनी है
मंजुल भारद्वाज
वो डरती नहीं है
जब ठान लेती है
वो लडकी नहीं
निर्णायक आवाज़ है
हक की,न्याय की
संघर्ष की, संविधान की
चेतावनी है
दमन के खिलाफ़
एक निर्णायक
निहत्थे नागरिक की
चेतावनी है
आंकड़ों के दमन के खिलाफ़
यही ऊँगली तोड़ेगी
तुम्हारे आंकड़ों का दर्प
तुम्हारी दमनकारी पुलिस
ऐसे ही खड़े खड़े देखती रहेगी
चेतावनी है
भेड़, भीड़, भ्रम की नींद में
सोयी जनता के जागने की
चेतावनी है
भारत के युवाओं की
हम जान दे देंगे
खंडित नहीं होने देंगे
भारत एक विचार को !