विवेक की सलीब है!

विवेक की सलीब है!


मंजुल भारद्वाज


अर्थियों पर सवार मंदिर 


अस्थियों पर खड़ी मस्जिद 


ज़िंदगी नहीं मौत का तांडव हैं 


राम या रहीम का प्रेम नहीं 


सत्तालोलुपों का मवाद है 


सभ्यताओं का ध्वंस 


इंसानियत की बलि है  


आस्था का पाखंड 


विवेक की सलीब है!


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