पत्थरों में चिंगारी पैदा करने वाला
नाद हूँ मैं
मंजुल भारद्वाज
पत्थरों में चिंगारी पैदा करने वाला
घर्षण हूँ मैं
दीये को जलाने वाला
हाथ हूँ मैं
मनुष्य की चेतना जगाने वाला
रचनाकार हूँ मैं
मनावता का प्रहरी
इंसानियत का मरहम हूँ मैं
अनाहद ब्रह्मांडीय चैतन्य की
अमूर्त-मूर्त प्रकिया को
सम्प्रेषित करने वाला
कलाकार हूँ मैं
मैं के सिंहनाद को
हम में परिवर्तित करने वाला
नाद हूँ मैं!