28 दिन बाद जेल से रिहाई हुई सुशील कुमार कुशवाहा छात्र नेता की
अरविंद कुमार मौर्य
इलाहाबाद | विश्वविद्यालय,छात्रों के हक एवं अधिकारों के लिए हमेशा आवाज बुलंद करने वाले क्रांतिकारी छात्र नेता सुशील कुमार कुशवाहा बिंदकी तहसील के ग्राम सभा मजरे सेलावन चकजहानपुर के रहने वाले हैं एवं इलाहाबाद विश्वविद्यालय में विधि का छात्र है। वर्तमान सरकार के इशारे पर इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति ने छात्रों की आवाज एवं उसके अधिकारों के लिए लड़ने वाले छात्र संघ को बैंन छात्र परिषद के मॉडल को लागू कर रहे थे जो छात्रों के साथ धोखा था।
जिसका विरोध सुशील एवं उसके अन्य साथियों ने 48 दिन तक लगातार क्रमिक अनशन द्वारा किया गया,फिर भी विश्वविद्यालय प्रशासन एवं छात्रों की बात नहीं मानी तो हम मजबूरन अपने साथियों के साथ आमरण अनशन पर बैठना पड़ा,लगातार 8 दिन तक बिना कुछ खाए पिए सिर्फ पानी के सहारे बैठे।
विश्वविद्यालय के सभी छात्र छात्राओं के स्नेह एवं आशा वादी निगाहों ने हमारा हौसला बरकरार रखा परंतु सरकार के इशारे पर 8 दिन बाद हम लोगों को बर्बरता एवं बलपूर्वक उठाकर 15 अक्टूबर को जेल भेज दिया।
इसी बीच शासन के स्थान पर छात्र परिषद का चुनाव करवा रहे कुलपति को विश्वविद्यालय के छात्र छात्राओं छात्र परिषद को नकार दिया,जेल में रहने के कारण हमको दीपावली का त्यौहार अपने परिवार के साथ नहीं मना पाए और हमारा त्यौहार नैनी जेल इलाहाबाद में मना परंतु पिता रामचंद्र ने कहा कि हमें फक्र है कि हमारा बेटा छात्र हितों के लिए जेल गया। तत्पश्चात 28 दिनों तक जेल में रहने के बाद 12 नवंबर को देर रात्रि नैनी जेल से रिहाई हुई छात्र नेता सुशील कुमार कुशवाहा ने कहा जब भी कभी छात्र हितों की बात होगी मैं कभी जेल जाने से पीछे नहीं हांटूगा। सुशील के पिता रामचंद्र फौज से रिटायर हैं वर्तमान में हार्डवेयर की दुकान चलाते हैं माता विद्या देवी ग्रहणी है।