सूचना लेते समय और देते समय दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप 

उर्वशी शर्मा


लखनऊ| यूपी कैडर के आईपीएस अमिताभ ठाकुर सोशल मीडिया पर अपने आप को सोशल एक्टिविस्ट और पब्लिक फिगर कहते हैं. अखबारों की हेडलाइंस में आने वाले हर चर्चित लोकसेवक के खिलाफ प्रायः अमिताभ या तो खुद या अपनी पत्नी नूतन ठाकुर के माध्यम से आरटीआई लगाकर मामलों को हाई कोर्ट तक ले जाते हैं और पारदर्शिता और जबाबदेही की पुरजोर वकालत करते हैं लेकिन जब कोई अमिताभ ठाकुर के खिलाफ आरटीआई लगाकर सूचना लेने का प्रयास करे तो अमिताभ ठाकुर सूचना देने से साफ-साफ मना कर देते हैं. एक ऐसा ही मामला अमिताभ के कार्यालय नागरिक सुरक्षा निदेशालय उत्तर प्रदेश में लखनऊ स्थित समाजसेविका और आरटीआई एक्टिविस्ट उर्वशी शर्मा द्वारा बीती 1 अगस्त को दायर की गई आरटीआई पर निदेशालय के जन सूचना अधिकारी मोहन चन्द्र काण्डपाल द्वारा बीती 03 सितम्बर को और प्रथम अपीलीय अधिकारी अमिताभ ठाकुर द्वारा बीती 03 अक्टूबर को दिए गए जबाब से सामने आया है|
एक्टिविस्ट उर्वशी ने वित्तीय वर्ष 2019-20 में निदेशालय में 31-07-2019 तक खर्च हुए A4 और लीगल साइज़ के कागजों की संख्या की सूचना माँगी थी जिस पर  मोहन चन्द्र काण्डपाल ने ने लिखा कि कार्यालय में खर्च हुए कागजों के आंकड़ों को रखना किसी नियम और विनियम के अंतर्गत अपेक्षित नहीं है. इस पर उर्वशी ने बीते 08 सितम्बर को अमिताभ ठाकुर को अपील भेजी जिसमें उर्वशी ने लिखा “प्रत्येक सरकारी कार्यालय राजकोष से खरीदी गई प्रत्येक सामग्री के प्रयोग के लिए जबाबदेह होता है और इस सम्बन्ध में ऑडिट भी किया जाता|  इस सूचना का रखा जाना इसलिए भी आवश्यक है कि मुझे कतिपय सूत्रों से ज्ञात है कि आपके कार्यालय में कार्यरत संयुक्त निदेशक अमिताभ ठाकुर कार्यालय की स्टेशनरी का दुरुपयोग अपने निजी कोर्ट केसों और आरटीआई के लिए करते हैं. इसीलिये कृपया खर्च हुए कागजों की सूचना दिलाएं.”  अपील के निपटारे में अमिताभ ने भी खर्चे गए कागजों की जानकारी देने से साफ-साफ मना कर दिया है.
उर्वशी ने अमिताभ ठाकुर ( आई.पी.एस.) को आबंटित सभी सरकारी वाहनों की दिनांक 01-04-19 से दिनांक 31-07-19 तक की लाग-बुक्स की सत्यापित प्रतियाँ भी माँगी थी जिस पर मोहन चन्द्र काण्डपाल ने लिखा कि सूचना तृतीय पक्ष की सूचना है और सूचना देने से इनकार कर दिया.  इस पर उर्वशी ने अमिताभ ठाकुर को बीते 08 सितम्बर को अपील भेजी जिसमें उर्वशी ने लिखा “लोकसेवक के सरकारी वाहनों की लाग बुक्स की सूचना तृतीय पक्ष की सूचना नहीं है अपितु लोकसेवक के लोक क्रियाकलाप की सूचना है जो आरटीआई के अंतर्गत प्रगटन से छूट प्राप्त श्रेणी की सूचना भी नहीं है.आपके कार्यालय में कार्यरत संयुक्त निदेशक अमिताभ ठाकुर सरकारी वाहनों का दुरुपयोग अपने परिवारी जनों की निजी यात्राओं पर करके कदाचार करते हैं इसीलिये जन सूचना अधिकारी ने इस सच को छुपाने के लिए गलत आधार पर सूचना देने से मना किया
है  अतः यह सूचना दिलाई जाए. अपील के निपटारे में अमिताभ ने भी अपने द्वारा प्रयोग किये जा रहे सरकारी वाहनों की लोग बुक्स  की जानकारी देने से साफ-साफ मना कर दिया है.
सरकारी खजाने के पैसों से किये गए स्टेशनरी खर्च  और वाहन प्रयोग जैसी सूचना भी आरटीआई में नहीं देने को पारदर्शिता कानून का गला घोंटने वाला कदम बताते हुए उर्वशी ने अमिताभ ठाकुर पर सूचना लेते समय और देते समय दोहरे मापदंड अपनाने का गंभीर आरोप लगाया है और मामले में शिकायत दर्ज कराने की बात कही है |


 

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