शारीरिक संबंधों के बावजूद प्रेमिका से बेवफाई अपराध नहीं -कोर्ट


शारीरिक संबंध बनाने के बावजूद प्रेमी को छोड़ना घिनौना हो सकता है लेकिन यह अपराध नहीं है। दुष्कर्म के मामले में आरोपी को बरी किए जाने के निचली अदालत के फैसले को बहाल रखते हुए उच्च न्यायालय ने यह टिप्पणी की है।


जस्टिस विभू बाखरू ने कहा कि यौन संबंध के बावजूद प्रेमी को त्याग करना घृणास्पद हो सकता है, पर यह अपराध नहीं है। न्यायालय ने कहा कि महिला ने शादी का वादा करके शारीरिक संबंध बनाने का आरोप आरोपी के साथ अपने यौन संबंध को सही ठहराने के लिए किया है। न्यायालय ने कहा कि प्राथमिकी दर्ज होने के बाद महिला ने चिकित्सा परीक्षण से इनकार कर दिया था।


उच्च न्यायालय ने महिला की उन दलीलों को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की है जिसमें उन्होंने कहा था कि यौन संबंध के लिए उनकी सहमति स्वैच्छिक नहीं थी बल्कि शादी का वादा करके लिया गया था। न्यायालय ने कहा है कि दुष्कर्म के कथित पहली घटना के तीन माह बाद 2016 में महिला आरोपी के साथ स्वेच्छा से होटल में गई। ऐसे में महिला के आरोपों में कोई दम नहीं है कि शादी का वादा करके उसके साथ यौन संबंध बनाया गया।


महिला ने युवक के खिलाफ 2016 में दुष्कर्म के आरोप में मुकदमा दर्ज कराया था। महिला ने आरोप लगाया था कि आरोपी ने उससे शादी का वादा करके शारीरिक संबंध बनाया। इस मामले में निचली अदालत ने आरोपी को बरी कर दिया था।


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