नरसंहार क्रांति नहीं होती...
मंजुल भारद्वाज
चंद हत्यारों ने
सत्ता के लिए
नरसंहार को
क्रांति का नाम दे दिया
चंद सत्ताधीशों ने
धर्मयुद्ध के नाम पर
धरती को लहुलुहान किया
गीता का ज्ञान दे
भगवान का अवतार धर लिया
हत्या या वध
मनुष्यता का विनाशक है
बहुत घिसा है विद्वानों ने
यह विचार की लड़ाई है
धर्म का युद्ध है
न्याय के लिए संघर्ष है
यह विचार की लड़ाई
हत्या या वध क्यों करती है?
विचार क्यों नहीं बदलती
असल में विचार की
लड़ाई के नाम पर
सत्तालोलुप सत्ता का युद्ध लड़ते हैं
विचार उनके लिए ढ़कोसला भर हैं
सत्ता ही उनका लक्ष्य होता है
विचार परिवर्तन नहीं
विचार परिवर्तन ही क्रांति है
बाक़ी क्रांति के माथे पर
लिखा नरसंहार हैं!