मैं कलाकार हूँ...
मैं कलाकार हूँ
मंजुल भारद्वाज
पानी चंचल, अस्थिर है
इस ओर से उस ओर बहता है
मीठा खारा एक साथ
कभी गरजता,बरसता है
कभी दहाड़ता है तो कभी
मंद मंद आँखों से टपकता है
पानी भावावेग है,आवेग है
भावनाओं के तरल धरातल को
अपनी कला में मथकर
दिशा,अभिव्यक्ति और अर्थ
देता हूँ मैं...मैं कलाकार हूँ!
मीठा खारा एक साथ
कभी गरजता,बरसता है
कभी दहाड़ता है तो कभी
मंद मंद आँखों से टपकता है
पानी भावावेग है,आवेग है
भावनाओं के तरल धरातल को
अपनी कला में मथकर
दिशा,अभिव्यक्ति
देता हूँ मैं...मैं कलाकार हूँ!
मैं कलाकार हूँ
काल का आकार हूँ
जीवन का सार हूँ
मनुष्य के विकार को
निरस्त करने वाला विचार हूँ
मैं कलाकार हूँ !
मेरा पथ पथरीला नहीं
मेरा पथ पनीला है
मैं पानी पर चलने वाला पथिक हूँ
भावनाओं के महासागर के मंथन से
निकले विष को पीकर
अमृत से जीवन को आलोकित करता हूँ
मैं कलाकार हूँ !