किरदार निभाने आए हैं...


कविता विजय ...


हम रंगमंच पर दुनिया के 


जीवन का नाट्य रचाते हैं 


सब अपनी क्षमता से बेहतर 


अभिनय दिखलाने आए हैं.....!


संवाद अलग, हर पात्र अलग 


अभिनय में भी अभिमान छिपा 


कब दृश्य है नाटक का अंतिम 


अनुमान लगाने आए हैं....|


 


 


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