जाति मजहब से बढ़कर...
मातृभूमि की मिट्टी
एक नया गीत
अली इलियास...
मातृभूमि की मिट्टी को चूमूं सदा, मेरी ख्वाहिश नहीं मै गगन चूम लूँ|
वीर अब्दुल, भगत सिंह के रास्ते, देशभक्ति की लागी लगन चूम लूँ|
मातृभूमि की मिट्टी, मै सदा सैनिकों की शहादत लिखूं|
मुल्क ही अपनी पूजा इबादत लिखूं|
मेरे ईश्वर मै तुमसे भी पहले सदा, अपने सीने पे मै सिर्फ भारत लिखूं|
अपनी हर साँस में तेरा सजदा करूँ, और सजदे में सारा वतन चूम लूँ|
मै तो पंक्षी गगन का मगन रिन्द हूँ|
मै कलम बनके सैनिक के मानिन्द हूँ|
है तिरंगे की तस्वीर दिल में मेरे, पाँव से सिर तलक हिन्द ही हिन्द हूँ|
मै मरूँ तो मुझे सिर्फ इतना मिले, बस तिरंगे का अपना कफन चूम लूँ|
सिख-ईसाई या हिन्दू-मुसलमान हो, सबसे पहले मुकम्मल वो इंसान हो|
चाहे पूजा करे या नमाजी बने, सबके होंठो पे भारत का गुणगान हो|
जाति,मजहब से बढ़कर हो इंसानियत, तो मै हिन्दोस्तां का चरन चूम लूँ|
मातृभूमि की मिट्टी को चूमूं सदा, मेरी ख्वाहिश नहीं मै गगन चूम लूँ|