दर्द सहकर क्यूं जन्मा...
शिखा...
क्या कुुसूर था मेरा
क्या गुनाह किया था
देकर जिंदगी फिर
खुद से क्यों जुदा किया
ऐ मां ! तू क्यूं इतनी
पत्थर दिल हो गई
कोख में रखकर
दर्द सहकर क्यूं जन्मा
जब पॉलीथीन में ही
मेरी सांसों को सिसकना ना था
दुनिया तो है पापी
पर तू तो एक माँ ही है
फेक कूड़े के ढेर में
न जी तेरा घबराया होगा
इतने कुत्तों ने जब
नोच मुझको खाया होगा |