ऊंचे पद पर
प्रेमचंद सैनी..
ऊंचे पद पर बैठे मानव,अब इंसान नहीं होते है,
चाटुकार खुदगर्ज मनुष्यों,के सम्मान नहीं होते है|
मत कर तू विश्वास ये पगले,
यह जग तो सारा झूठा है|
मनुज न कोई राम-कृष्णा है,
दुखी सभी हैं, दिल टूटा है|
लाचारी बेबसी गरीबी की ईमान नहीं होते है,
ऊंचे पद पर बैठे मानव,अब इंसान नहीं होते हैं|
साहस हो मन में तो मानव,
सरिता-धार बदल सकता है |
साहस और शौर्य के बल पर,
मनुज देवता बन सकता है |
संयम-नियम हीन लोगो के,धन वरदान नहीं होते हैं,
ऊंचे पद पर बैठे मानव,अब इंसान नहीं होते हैं |