'अन्तर्राष्ट्रीय मीडिया सम्मेलन' का भव्य आयोजन लखनऊ में...
उचित स्थान, सम्मान व अधिकार के बगैर समाज आगे नहीं बढ़ सकता। इससे पहले मुख्य अतिथि के रूप में पधारी लोकसभा सदस्य रीता बहुगुणा जोशी ने दीप प्रज्वलित कर अन्तर्राष्टीय मीडिया सम्मेलन का विधिवत् उद्घाटन किया जबकि सी.एम.एस. संस्थापक व प्रख्यात शिक्षाविद् डा. जगदीश गाँधी ने मुख्य अतिथि समेत सभी आमन्त्रित अतिथियों, वक्ताओं आदि का हार्दिक स्वागत अभिनंदन किया।
सम्मेलन में विद्वजनों की सारगर्भित परिचर्चा के अलावा पैनल डिस्कशन का आयोजन भी किया गया,
जिसका संचालन कविता सिंह चैहान, एसोसिएट एडीटर, न्यूज 24, ने किया जबकि पैनलिस्ट सदस्यों में
राहुल देव, वरिष्ठ पत्रकार, प्रो. गीता गाँधी किंगडन, प्रेसीडेन्ट, सी.एम.एस., विकास मिश्रा, संपादक, आज तक, अभिषेक मेहरोत्रा, एडीटर, समाचार फाॅर मीडिया, नई दिल्ली, साबू जार्ज, महिला मानवाधिकार कार्यकर्ता, नई दिल्ली, क्षिप्रा माथुर, वरिष्ठ पत्रकार, राजस्थान, सीमा, शीरोज कैफे, नेहा दीक्षित, पत्रकार एवं वोमेन राइट्स एक्टिविस्ट, ऊषा विश्वकर्मा, फाउण्डर, रेड ब्रिगेड, लखनऊ, नैश हसन, महिला
मानवाधिकार कार्यकर्ता, लखनऊ, आदि शामिल हुए...
नारी सशक्तीकरण के लिए सोच बदलना जरूरी...
समारोह का शुभारम्भ 'वन्दे मात्रम' के सुमधुर प्रस्तुतिकरण से हुआ.. विश्व में बालिकाओं एवं महिलाओं की सामाजिक स्थिति पर विशेष साँस्कृतिक प्रस्तुति ने सभी को प्रभावित किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि रीता बहुगुणा जोशी ने अपने उद्बोधन में कहा कि नारी सशक्तीकरण के लिए व्यक्ति व समाज की सोच बदलना जरूरी है और इसके लिए हमें किशोरों पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने महिलाओं का आह्वान करते हुए कहा कि हमारी आन्तरिक शक्ति व संकल्प ही हमें आगे ले जायेगा। तीन चीजें इसमें मदद कर सकती है, जिनमें कानून बनाना, नीतियां बनाना एवं संस्थानों में महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व शामिल है। प्रो. गीता गाँधी किंगडन ने देश-विदेश से पधारे विद्वजनों का स्वागत करते हुए कहा कि कि बच्चों को शैक्षिक ऊचाइयाँ प्रदान करने के साथ उन्हें समाजिक सरोकारों से भी जोड़े। जो बच्चे विद्यालय में समानता का व्यवहार करना सीख जाते हैं, वही आगे चलकर समाज में परस्पर सम्मान की भावना को जगाते हैं।
अन्तर्राष्ट्रीय मीडिया सम्मेलन में देश-विदेश से पधारे मीडिया प्रमुखों, पत्रकारों, शिक्षाविद्ों एवं न्यायविद्ों आदि ने 'नारी के प्रति हिंसा रोकने में मीडिया, स्कूल व समाज की भूमिका' पर सारगर्भित परिचर्चा करते हुए हिंसा के कारणों, परिस्थितियों एवं उनके समाधान पर व्यापक चर्चा की। इस अवसर पर बोलते हुए प्रभु चावला, एडीटोरियल डायरेक्टर, न्यू इण्डियन एक्सप्रेस, ने कहा कि महिलाओं को सरकार, प्रशासन तथा समाज के प्रमुख पदों पर बैठाना जरूरी है, तभी पुरुषों की मानसिकता व सामाजिक ढांचे में बदलाव आ सकता है। अजीत अंजुम, वरिष्ठ पत्रकार, ने कहा कि शिक्षक बच्चों को उनके माता-पिता से बेहतर ढंग से समझते हैं तथा उनके बीच बहुत गहरा जुड़ाव होता है।
शिक्षा में विकास हुआ है परन्तु जुवेनाईल क्राइम भी बहुत बढ़ा है। आपको बच्चों को समझाना होगा कि वे अन्याय तथा खराब हरकतों का प्रतिकार करें। श्री राहुल महाजन, एडिटर-इन-चीफ, राज्यसभा टेलीविजन, नई दिल्ली, ने कहा कि महिलाओं पर हिंसा में समाज का बड़ा हाथ है। हमें लोगों की विचारधारा बदलकर उन्हें समझाना होगा कि बेटियां भी आर्थिक रूप से सम्पन्न हो सकती हैं तथा अपने माता-पिता का बेटों से बेहतर ख्याल रख सकती हैं। राणा यशवन्त, वरिष्ठ पत्रकार, ने कहा कि शिक्षा के द्वारा बच्चों की विचारधारा को सही दिशा दी जा सकती है क्योंकि शिक्षित समाज महिलाओं के प्रति सही रवैया रखेगा। सरकार, प्रशासन एवं विद्यालयों की व्यवस्था में महिलाओं को आगे आना होगा। मनोज तोमर, ग्रुप एडीटर, सहारा मीडिया, नई दिल्ली, ने कहा कि सदियों से माता-पिता बेटियों के लिए चिंतित होते रहे हैं। यदि सभी पुरूष व महिलाएं घर की चारदीवारी से शुरूआत करें तो इस भय का अंत हो सकता है।
कन्यादान की प्रथा को भी खत्म करने की मांग करते हुए मनोज तोमर ने कहा कि कन्यादान से लड़कियों में यह भावना भर जाती है कि उनका घर कहां है। इसके अलावा, राहुल देव, वरिष्ठ पत्रकार, सुधीर मिश्रा, वरिष्ठ स्थानीय संपादक, नवभारत टाइम्स, लखनऊ, एस. वेंकट नारायन, इण्डिया ब्यूरो चीफ, द आइसलैण्ड, श्रीलंका, दुर्गा प्रसाद मिश्रा, प्रिन्सिपल डेस्ट एडीटर, पी.टी.आई. नई दिल्ली आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किये।